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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। बगवाती तेवर अपना चुके तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक जितेंद्र तिवारी ने यू-टर्न ले लिया है। कल ही उन्होंने टीएमसी पर यह आरोप लगाते हुए से इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें लोगों के लिए काम करने से रोका जा रहा है।तिवारी के भाजपा में जाने की अटलकों के बाद आसनसोल से भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो सहित कई स्थानीय नेताओं ने नाराजगी प्रकट की और तिवारी के भाजपा विरोधी हरकतों का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया। भाजपा में एंट्री में दिक्कत होता देख तिवारी ने कोलकाता में मंत्री अरूप विश्वास से मुलाकात की और माफी मांगी। बिस्वास ने कहा, "तिवारी पार्टी में थे और पार्टी में रहेंगे।"

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे से पहले टीएमसी का दमान छोड़ने वाले नेताओं में जितेंद्र तिवारी, शुवेन्दु अधिकारी के बाद दूसरे स्थान पर थे। टीएमसी के सिलभद्रा दत्ता ने भी शुक्रवार को भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। जितंद्रे तिवारी ने कहा था, “मैंने आसनसोल नगर निगम के प्रशासकों के बोर्ड के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। यदि मुझे काम करने की अनुमति नहीं है, तो मैं पद बने रहकर क्या करूंगा?

इसलिए, मैंने इस्तीफा दे दिया।” उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी में बने रहने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि मुझे लोगों के लिए काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

आपको बता दें कि टीएमसी के कई नेता कथित रूप से भाजपा के संपर्क में हैं और शाह के 2 दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान भागवा पार्टी में शामिल होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भाजपा के नेता टीएमसी के नेताओं के साथ जोर-जबरदस्ती कर रहे हैं।

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