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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से सेवानिवृत्त हुए केसरी नाथ त्रिपाठी ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास अपने फैसलों को लागू करने की शक्ति और विजन है लेकिन उनकी तुष्टिकरण की नीति का राज्य के सामाजिक सद्भाव पर विपरीत असर हो रहा है। पांच साल के कार्यकाल के दौरान ममता और त्रिपाठी कई बार आमने सामने आए। पूर्व राज्यपाल ने कहा कि ममता को बिना भेदभाव हर नागरिक को एक समान समझना चाहिए। उन्होंने सीएम को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने और संयमित रहने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास विजन है, साथ ही अपने फैसलों को लागू कराने की उनमें क्षमता भी है लेकिन उन्हें संयमित भी रहना चाहिए। वह कई मौकों पर भावनात्मक हो जाती है, जिसे नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। उन्होंने राज्य में बढ़ती हिंसा पर भी चिंता जताई और कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाना चाहिए।

 

टीएमसी-कांग्रेस-लेफ्ट का पलटवार

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के निवर्तमान राज्यपाल के एन त्रिपाठी की इस टिप्पणी के लिए उन पर पलटवार किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुष्टीकरण नीति का राज्य के सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सत्तारूढ़ पार्टी ने राज्यपाल से सवाल किया कि क्या यह नंबर बढाने का प्रयास है। तृणमूल कांग्रेस के अलावा विपक्षी माकपा और कांग्रेस ने इसे गलत समय पर की गई टिप्पणी करार दिया।

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने सवाल उठाया कि त्रिपाठी ने इससे पहले यह क्यों नहीं कहा। अगले राज्यपाल जगदीप धनकड़ 30 जुलाई को शपथ लेंगे। चटर्जी ने तीखी टिप्पणी में कहा कि क्या यह अपने नंबर बढाने का प्रयास था? इसीलिए हमने (तृणमूल) पहले कहा था कि राजभवन भाजपा का पार्टी कार्यालय बन गया है। यह अब सच साबित हुआ है।

उधर, माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि यह गलत समय पर की गई टिप्पणी है, हालांकि यह पूरी तरह से गलत नहीं है।

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