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पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व सचिव श्रीनिवास तिवारी को पुलिस ने मंगलवार की दोपहर जेल भेज दिया। कोतवाली थाने में कानूनी कार्रवाई पूरी करने के बाद श्रीनिवास को कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें बेउर जेल भेज दिया। इससे पहले श्रीनिवास से लंबी पूछताछ हुई। हालांकि पुलिस सूत्रों की मानें तो उन्होंने कुछ खास जानकारी नहीं दी है। श्रीनिवास को जब उनके हस्ताक्षर किए गए कागजात दिखाए गए तब उन्होंने चुप्पी साध ली। पुलिस ने उनसे पूछा किया ये हस्ताक्षर आपके ही हैं न? इस पर श्रीनिवास का जवाब था हां, ये सभी उनके द्वारा किए गए हस्ताक्षर हैं। इसके पहले भी पूर्व सचिव को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई थी, लेकिन तब उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था। पुलिस के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर उनको रिमांड पर भी लिया जा सकता है। गौरतलब है कि सोमवार सुबह एसएसपी मनु महाराज ने पूर्व सचिव को गिरफ्तार कर लेने की पुष्टि की थी। श्रीनिवास के बाद अभी कई लोगों पर पुलिस की नजर है। कई ऐसे भी हैं, जो जांच के दायरे में आने के डर से फरार हैं। पुलिस को अब भी आठ-नौ लोगों की तलाश है, जिनसे पूछताछ की जानी है। मंगलवार को पुलिस टीम ने टॉपरों के घरों पर छापेमारी कर दी। न टॉपर मिले और न ही उनके परिजन पुलिस के हाथ लगे। सौरभ श्रेष्ठ के एक करीबी के घर भी पुलिस टीम गई थी, जहां उसके छिपे होने की बात का पता चला था।

हालांकि वहां भी फर्जी टॉपर और उनके परिजन नहीं मिले। एसआईटी के एक आला अफसर ने बताया कि अब तक फर्जी टॉपरों के परिजनों की संपत्ति की कुर्की करने का आदेश नहीं मिल सका है। पटना। टॉपर घोटाले में पूर्व वीसी अरुण कुमार व उनकी बहू को पटना हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। लेकिन कोर्ट ने पुलिस को बेकसूरों को तंग नहीं करने का आदेश दिया है। साथ ही पुलिस को उचित अनुसंधान करने का निर्देश दिया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस आईए अंसारी की एकलपीठ ने डॉ. अरुण कुमार व अन्य की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश देते हुए मामला निष्पादित कर दिया।

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