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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कयास लगाए जाने लगे कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर फिर से जद (यू) के साथ आ सकते हैं। हालांकि इस मुलाकात के दो दिन बाद, पीके ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह 2 अक्टूबर से बिहार में अपने 'जन सुराज आंदोलन' के तहत पदयात्रा के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रशांत किशोर जद (यू) के पूर्व पदाधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के साथ उनकी मुलाकात को "सामाजिक-राजनीतिक शिष्टाचार मुलाकात के रूप में देखा जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि बिहार सीएम के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने राज्य में शराबबंदी पर अपना विचार रखा क्योंकि 'यह स्पष्ट रूप से जमीन पर प्रभावी नहीं है।'

मीडिया से बात करते हुए पीके ने कहा, "नीतीश कुमार बिहार के सीएम हैं और मैं मई से बिहार में सक्रिय हूं। काफी समय से उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहता था लेकिन समय की कमी के कारण यह बैठक नहीं हो सकी।" बिहार में जन सुराज अभियान के तहत प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर 2022 से पदयात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

उन्होंने कहा, “मैं जन सुराज के विजन के साथ मजबूती से खड़ा हूं और 2 अक्टूबर से प्रस्तावित पदयात्रा के माध्यम से पूरे बिहार की यात्रा करूंगा। मैं लगभग एक साल तक बिहार के विभिन्न गांवों और ब्लॉकों में जाऊंगा और लोगों से मिलूंगा और समाज से सही लोगों को आगे लाऊंगा जो बिहार की बेहतरी के लिए काम कर सके।"

प्रशांत किशोर ने नीतीश से मुलाकात के बाद राज्य में शराबबंदी की विफलता पर सरकार की आलोचना की और "समीक्षा" का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "प्रशासन का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से शराबबंदी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसलिए इससे सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इस शराबबंदी नीति को लागू करने के बाद पिछले कुछ वर्षों में बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है।" उन्होंने कहा, "शराबबंदी पूरी तरह से फेल रही है। यह बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण केवल कागजों पर ही दिखती है। महिलाओं के नाम पर यह कदम उठाया गया था लेकिन वे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं क्योंकि उन्हें अब खुद काम करना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शराब के चलते महिलाओं के पति जेल की सलाखों के पीछे चले जाते हैं।"

पीके ने आगे कहा, "पिछले कुछ महीनों के अपने अनुभवों को साझा करते हुए मैंने सीएम को यह सब बताया। मैंने कहा कि इसे 'अहम' का मुद्दा बनाए बिना शराबबंदी पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।" बेगूसराय की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं राज्य की कानून व्यवस्था की खराब स्थिति के बारे में लोगों की मौजूदा आशंकाओं को और बढ़ाती हैं। किशोर ने कहा, "लेकिन, यह रातोंरात नहीं हुआ है। जब भाजपा सत्ता में थी तब भी कानून-व्यवस्था बिगड़ रही थी, हालांकि उन्हें इस मामले को अभी उठाना सुविधाजनक लग रहा था।"

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