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नई दिल्ली: अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर भव्य राम मंदिर बनाने के लिए देशभर में समर्थन जुटाने के मकसद से भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की थी लेकिन जब उनकी रथ यात्रा बिहार पहुंची तो वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव के आदेश पर 23 अक्टूबर, 1990 को उन्हें समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। आडवाणी का मकसद देश के हर राज्य से होते हुए 30 अक्टूबर को रथ यात्रा से अयोध्या पहुंचना था, लेकिन लालू यादव ने उन्हें उनके मकसद में कामयाब नहीं होने दिया।

लालू यादव ने मंदिर आंदोलन के बड़े नेता ओर विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंहल समेत आडवाणी को समस्तीपुर से गिरफ्तार करवाया था। इसके बाद उन्हें स्पेशल चॉपर से दुमका के गेस्ट हाउस में रखा था। जब आडवाणी के परिजन उनसे मिलने आए थे, तब भी लालू यादव ने उनके लिए चॉपर की पेशकश की थी। इसके बाद अयोध्या में विवादित स्थल पर बनी बाबरी मस्जिद ढांचा को 6 दिसंबर, 1992 को गिरा दिया गया था।

29 बरस पहले उत्तर प्रदेश के अयोध्या में घटी यह घटना इतिहास में प्रमुखता के साथ दर्ज है, जब भीड़ ने बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहा दिया था। इस घटना के बाद देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें जान और माल का भारी नुकसान हुआ।

उस दौर को याद करते हुए राजद प्रमुख लालू यादव ने लिखा है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मसले ने देश को एक नाजुक मोड़ पर खड़ा कर दिया था। साथ ही लिखा है कि आडवाणी जी को गिरफ्तार कर पूरे विश्व को एक संदेश दिया कि भारत में शांतिप्रिय और धर्मनिरपेक्ष ताकतें आज भी मजबूत हैं।

उन्होंने ट्वीट किया है, 'राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मसले ने देश को एक नाजुक मोड़ पर खड़ा कर दिया था. मैंने आडवाणी जी को गिरफ्तार कर पूरे विश्व को एक संदेश दिया कि भारत में आज भी शांतिप्रिय व धर्मनिरपेक्ष ताकतें मजबूत है। हममें इतनी शक्ति है कि हम फ़िरकापरस्त व फासीवादी ताकतों को उखाड़ फेंके।'

लालू यादव ने उस वक्त से जनता से की गई अपील भी शेयर की है. अपील में लिखा है, 'राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मसले ने अपने देश को नाजुक मोड़ पर खड़ा कर दिया है. आप सभी बिहारवासी और खासकर गरीब और गांववासियों ने बिहार में जो अद्भूत सद्भावना कायम की है, उसको मजबूत करने में आप सभी अपना सब काम छोड़कर लग जाएं. अयोध्या के मसले को अपने खेत और खलिहान, गांव-कस्बे और गली में न आने दें. अकलियत के लोगों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर रहें. उनके दुख-दर्द में हाथ बटावें और उन्हें कमजोर महसूस करने करने की स्थिति ने होने दें।'

साथ ही लिखा है, 'फिरकापरस्ती की ताकतों और धर्म को राजनीति से जोड़ने वालों से अलग रहें. कहीं भी कोई अफवाह ने फैलने दें और किसी भी अफवाह या वारदात की सूचना प्रशासन को दें।'

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