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पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद की सर्जरी विफल रहने के बाद छह मरीजों की आंखें निकालने का मामला सामने आया है। इससे संबंधित मीडिया रिपोर्ट पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।इन मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) में 22 नवंबर को हुआ था। बताया गया है कि ऑपरेशन विफल रहने के बाद छह मरीजों की आंखें निकाल दी गईं। एनएचआरसी ने बिहार के मुख्य सचिव को भी नोटिस जारी किया है। उनसे मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। आयोग ने नोटिस पर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। 

आयोग ने एक बयान में कहा कि उसने उन मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिनमें कहा गया है कि श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में छह मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं। इन सभी ने मुजफ्फरपुर आई अस्पताल में 22 नवंबर को सर्जरी कराई थी। आंखों में इन्फेक्शन के कारण डॉक्टरों को सर्जरी कराने वाले और मरीजों की भी आंखें निकालनी पड़ सकती हैं।

आयोग का कहना है कि ये खबरें सच हैं तो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ है। मेडिकल प्रोटोकॉल के मुताबिक, एक डॉक्टर केवल 12 तक सर्जरी कर सकता है, लेकिन इस मामले में डॉक्टर ने 65 मरीजों की सर्जरी की। आयोग ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव को भेजे नोटिस में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।

मामले में जिला सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा का कहना है कि मुजफ्फरपुर के स्थानीय नेत्र अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कई मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। कल की जानकारी के अनुसार एसकेएमसीएच में मुजफ्फरपुर नेत्र चिकित्सालय में 4 और भर्ती 6 में से 3 रोगियों की आंखें निकलवाई गईं। ओटी से आंखों की सफाई में इस्तेमाल होने वाले लिक्विड के कल्चर के लिए सैंपल भेजा गया है। हमने ऑपरेशन का बीएसटी, डॉक्टर पैनल की जानकारी और इस बीच इलाज कराने वाले मरीजों की जानकारी मांगी है। ओटी को सील कर दिया गया है; कहीं और ऐसी घटना की सूचना नहीं है।

 

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