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पटना: देश में जातीय जनगणना कराने की उठ रही मांगों के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये कह दिया है कि वो जातीय जनगणना नहीं कराएगी और ये उनका सोचा-समझा फैसला है। केद्र सरकार के इस रुख के बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा ने भी जातीय जनगणना को लेकर दो प्रस्ताव पारित किए थे। इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम सभी ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी। तेजस्वी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के जवाब के बाद अब हम महागठबंधन की बैठक में इस पर चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।

शुक्रवार को तेजस्वी यादव ने मीडिया के साथ संक्षिप्त बातचीत में कहा कि मैंने एक अखबार में देखा कि महाराष्ट्र की मांग पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा पेश किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे जाति-आधारित जनगणना की अनुमति नहीं देंगे।

वहीं दूसरी ओर राजद अध्यक्ष लालू यादव ने भी जातीय जनगणना को लेकर केन्द्र सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि पता नहीं भाजपा और आरएसएस के लोगों को पिछड़ों और अति पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों है? ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा। इससे सबकी वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। शुक्रवार को ट्वीट कर लालू ने कहा है कि यह कैसी बात है कि देश में सांप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली सहित सभी पशु-पक्षी, पेड़-पौधे गिने जाएंगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। केन्द्र सरकार के इस रवैये पर लालू ने आश्चर्य व्यक्त किया है।

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