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नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में दिल्ली की एक अदालत नवंबर मध्य में अपना फैसला सुनाएगी, जहां कई बालिकाओं के साथ कथित रूप से यौन और शारीरिक दुराचार किया गया था। एक अधिवक्ता ने सोमवार को यह जानकारी दी। सुनवाई की जानकारी रखने वाले एक अधिवक्ता ने बताया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने एक गोपनीय सुनवाई के दौरान कहा कि वह नवंबर मध्य तक फैसला सुनाएंगे।

उन्होंने बताया कि सीबीआई और मामले में विभिन्न आरोपियों के वकीलों द्वारा अपनी अंतिम दलील देने की कार्रवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत में इससे पहले 21 लोगों के खिलाफ बलात्कार करने के लिए आपराधिक षडयंत्र रचने और भीषण यौन दुर्व्यवहार सहित विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस मामले में मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर पर पोक्सो कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिसमें धारा छह (निकृष्ट यौन उत्पीड़न) शामिल है।

बिहार के मुजफ्फरपुर में एनजीओ द्वारा संचालित एक आश्रय गृह में कई लड़कियों से कथित रूप से बलात्कार और यौन दुराचार किया गया। टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) की एक रिपोर्ट के बाद ये बात सामने आई थी।

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