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भोपाल: मध्यप्रदेश में 'कमल' रहेगा या कमलनाथ के वापस लौटने की कोई गुंजाइश बनेगी, इसके लिये उपचुनाव के नतीजे बेहद अहम हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों का दावा है कि वो सारी सीटें बटोर लेंगे हालांकि अगर एग्जिट पोल के नतीजे संकेत हैं तो इससे साफ है कि भाजपा सरकार बचाने में कामयाब हो जाएगी।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं। भाजपा के पास फिलहाल 107 विधायक हैं, कांग्रेस के पास 87। बहुजन समाज पार्टी के पास 2, समाजवादी पार्टी के पास 1 और 4 निर्दलीय। 28 सीटों पर जो उपचुनाव हुए उसमें 22 सिंधिया समर्थकों ने जब कांग्रेस छोड़ी तो कमलनाथ को कुर्सी छोड़नी पड़ी। कांग्रेस के  तीन और विधायकों ने शिवराज के कुर्सी संभालने के बाद पार्टी छोड़ी। कांग्रेस के 2 और भाजपा के एक विधायक के निधन से 3 और सीटें खाली हो गई थीं। दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने उपचुनावों के एलान के बाद हाथ को झटका दिया। लेकिन फिलहाल वहां चुनाव नहीं हो पाया।

 

चुनाव में एक-एक सीट की अहमियत को समझते हुए भाजपा-कांग्रेस दोनों दावे बड़े-बड़े कर रहे हों। लेकिन दोनों दलों के बड़े नेता सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि किसी दल को स्पष्ट बहुमत मिल गया तो ठीक, नहीं तो विधायकों के पाला बदलने का खेल शुरू हो सकता है। जिसे देखते हुए भाजपा के नये नवेले संकट मोचक सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने तीन कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की है, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, बसपा की विधायक रामबाई से मिल आए हैं। कोशिश यही है कि सात ग़ैर कांग्रेसी-गैर भाजपा के विधायक पाला ना बदलें। वहीं कांग्रेस भी इन सातों को रिझाने में जुटी है।         

बीजेपी ने सभी सीटों के प्रभारियों को अलर्ट पर रखा है, कोई नाराज़गी न उपजे, इसके लिये संगठन भी नज़र रखे हुए है। कांग्रेस ने भी घेराबंदी बढ़ाते हुए अपने विधायकों को भोपाल बुला लिया है। सूत्र बता रहे हैं ज़रूरत पड़ी तो नतीजों के बाद कांग्रेस विधायकों को एक बार फिर पड़ोसी राज्यों में भेजा जा सकता है। जहां कांग्रेस की सरकार है। एक बड़ा सवाल 14 मंत्रियों की प्रतिष्ठा का भी है, 2018 में 13 मंत्री विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए। इस बार 3 नवंबर 2020 को हुए चुनाव में 14 मंत्रियों की साख दांव पर लगी है। इसमें से 11 तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर पाला बदलकर आए हैं, ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर है। बड़ी दिलचस्पी डबरा से कैबिनेट मंत्री इमरती देवी हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में 57, 477 वोटों के बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंदी को हराया था, उप चुनावों में बड़ी बहस कमलनाथ की उन पर टिप्पणी पर केन्द्रित रही।

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