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उज्जैन: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को यहां आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भगवा पार्टी की जीत के बाद दोनों पहली बार मिले। सूत्रों के मुताबिक गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदर्शन से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) नाराज है।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में आरएसएस की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। बैठक में किन मुद्दों पर बात हुई, इस बारे में आधिकारिक तौर कोई जानकारी नहीं दी गई। संघ से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक से इतर माधव सेवा न्यास भवन में आज शाम दोनों ने मुलाकात की।

सूत्रों ने बताया कि शाह शाम पांच बजे के तुरंत बाद इंदौर से यहां पहुंचे और भागवत से मिलने गए जो आरएसएस की बैठक के लिए यहां हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कार्यक्रम स्थल पर थे। सूत्रों के मुताबिक गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदर्शन से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) नाराज है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में आरएसएस की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संघ ने भाजपा के नेतृत्व में बदलाव करने का फैसला ले सकता है। बताया जा रहा है कि गुजरात चुनाव पर परिणाम पर संघ और भाजपा के पदाधिकारियों की हुई बैठक में फैसला लिया गया कि पार्टी में सर्जरी की जरूरत है। इसके तहत पार्टी के कई पदाधिकारयों की जिम्मेदारी में बदलाव किया जा सकता है। यह भी चर्चा है कि भाजपा में कुछ नए चेहरों को भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

मालूम हो कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भले ही जीत दर्ज की है, लेकिन ज्यादातर प्रत्याशियों के हार-जीत का अंतर काफी कम है। यहां भाजपा को 99 और कांग्रेस को 80 सीटें मिली हैं। वहीं तीन सीटें अन्य के खाते में गई हैं। कांग्रेस ने चुनाव में 41.4 फीसदी वोट हासिल किए हैं।

सीटों के हिसाब से जीत का अंतर कम होने के चलते गुजरात में भाजपा के सामने राजनीतिक चुनौतियां भी पैदा हो गई हैं। पटेल समुदाय से आने वाले उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और कोली समुदाय से आने वाले मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी अपने विभाग के लेकर नाराजगी जता चुके हैं। हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इन दोनों नेताओं को मनचाहा विभाग देने का आश्वासन देकर शांत करा दिया है।

वहीं नाराज चल रहे भाजपा के बड़े नेताओं को कांग्रेस धड़े से प्रस्ताव दिए जा रहे हैं कि वे 10-12 विधायक को तोड़कर लाते हैं तो वे उन्हें नई सरकार गठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंप दे सकते हैं।

मोहन भागवत के बदले दिखे सुर

इससे पहले मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थापित 'भारत माता मंदिर' के लोर्कापण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरआरएस) के प्रमुख मोहन भागवत के तेवर कुछ बदले से नजर आए। उन्होंने राममंदिर और हिंदुत्व का ज्यादा जिक्र किए बिना कहा कि भारत सिर्फ भूमि नहीं है, भारत माता के अखंड स्वरूप की भक्ति चाहिए, और सतत् उसी के बारे में सोचना चाहिए, अगर उसके लिए मरना भी पड़े, तो उसे अपना सौभाग्य समझना चाहिए। भागवत उज्जैन में 30 दिसंबर से ही मौजूद हैं। उन्होंने गुरुवार को भारत माता मंदिर के लोकार्पण समारोह और एक यज्ञ में हिस्सा लिया। मंदिर के लोकार्पण मौके पर भागवत ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए हिंदू धर्म को सत्य की सतत साधना बताया, तो भारत माता के प्रति भक्ति को जरूरी कहा।

 

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