ताज़ा खबरें
दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में बरकरार, एक्यूआई 424 तक पहुंचा
यूपीपीएससी के झुकने के बावजूद प्रतियोगी छात्रों का धरना-प्रदर्शन जारी
मेयर चुनाव में आप के महेश खींची ने बीजेपी के किशन लाल को हराया
भ्रामक विज्ञापनों पर लगेगी रोक, सीसीपीए ने जारी किए नए दिशा-निर्देश
यूपीपीएससी के बाहर बढ़ रहा छात्रों का हुजूम, आंदोलन चौथे दिन जारी
उत्तर भारत में पड़ने लगा कोहरा, तीन-चार दिन में और गिरेगा तापमान

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार के नेतृत्व वाले खेमे को निर्देश दिया कि वह अगले सप्ताह होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान पार्टी के संस्थापक शरद पवार की तस्वीरों या वीडियो का इस्तेमाल न करे। एनसीपी के घड़ी चिन्ह पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने कहा, "अपने पैरों पर खड़ा होना सीखो।"

अपने पैरों पर खड़ा होना सीखें: अजित पवार खेमे से सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को भूलिए, चुनावी लड़ाई मैदान पर ध्यान दीजिए, तुच्छ बातों को अदालत में न लाएं। अब लोगों को फैसला लेने दें, उनकी बुद्धिमता पर सवाल न उठाएं। अजित पवार द्वारा ‘घड़ी' चिह्न के उपयोग के बारे में दिए गए स्पष्टीकरण को भी सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा कि एक बार जब आप शरद पवार से अलग हो गए तो उनका नाम, फोटो, वीडियो का उपयोग करना बंद करें। अब अपने पैरों पर खड़ा होना सीखें।

सुनवाई से पहले, अजित पवार ने सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन हलफनामा दाखिल किया था। अजित ने बताया कि उन्होंने समाचार पत्रों में डिस्कलमेर प्रकाशित किया है। जिसे 7 मराठी, 2 हिंदी और 2 अंग्रेजी पत्रों में प्रकाशित किया है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा था कि उल्लंघन अदालत की अवमानना ​​होगी। जिसके लिए 36 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया था।

शरद पवार खेमे ने की थी शिकायत

सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा था कि वे सूचित करें कि उन्हें "घड़ी" सिंबल का आवंटन इस न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और उन्हें इस कार्यवाही के अंतिम परिणाम के अधीन इसका उपयोग करने की अनुमति दी गई है। ऐसी घोषणा अभियान से संबंधित प्रत्येक पैम्फलेट, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो क्लिप में भी शामिल की जाएगी। शरद पवार गुट द्वारा शिकायत किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आया था कि अजीत पवार सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं।

अजित पवार के वकील ने कहा कि हमने अदालती आदेशों का पालन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने डिस्कलेमर वाले विज्ञापन देखे है। अजित पवार के लिए वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने कहा कि हमारे पास सभी प्रचार वाहन हैं, जिनको रिटर्निंग ऑफिसर ने मंजूरी दी है। प्रत्येक वाहन स्वीकृत है। प्रत्येक वाहन पर एक प्रमाणपत्र और डिस्कलेमर होता है। विज्ञापन सामग्री रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा अनुमोदित है।

अजित खेमे का क्या आरोप

बलबीर सिंह ने आरोप लगाया कि शरद पवार ने अदालत के सामने एक छेड़छाड़ किया हुआ दस्तावेज़ पेश किया क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि चुनाव 20 तारीख को होने वाले हैं। इस अदालत का एक भी शब्द हमारे लिए पक्षपातपूर्ण होगा। ⁠यह कवायद 20 तारीख तक जारी रहेगी। अजित पवार के वकील ने शरद पवार की अर्जी में कही गई बातों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर वे चाहते कि विज्ञापन को और अधिक बोल्ड किया जाए तो मैं समझ सकता था। लेकिन गैर अनुपालन कहना? मतदाताओं को भ्रमित करना नहीं है?

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम मतदाता क्या सोचते हैं, इसको जज नहीं कर सकते। वहीं जस्टिस उज्जल भुयान ने कहा कि हमें मतदाताओं को भी कम नहीं आंकना चाहिए। शरद पवार के लिए अभिषेक मनु ने कहा कि उन्हें पता है कि उन्हें मेरी सद्भावना का लाभ उठाना है। चुनाव के इतने करीब वे जानबूझकर अपराध को दोहरा रहे हैं। विज्ञापन मुद्दा नहीं है, वे हलफनामे के 10 पेज दिखाते हैं लेकिन अन्य जगहों पर वे वही बातें दोहराते हैं।

आप इतने परेशान क्यों हैं?

बलबीर सिंह ने कहा कि वे चाहते हैं कि मैं हर रोज आकर अदालत में अनुपालन की बात कहूं। जस्टिस सूर्यकांत ने शरद पवार के लिए पेश सिंघवी से पूछा कि क्या आपको लगता है कि ग्रामीण इलाकों में लोग ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम चेक करते हैं? आप इतने परेशान क्यों हैं? जस्टिस सूर्यकांत ने शरद पवार गुट के वकील अभिषेक मनीष सिंघवी से पूछा कि जब आप महाराष्ट्र मे 36 सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में क्या महाराष्ट्र के लोग यह नहीं समझ पाएंगे कि आप दोनों एक नहीं हैं?

कोर्ट ने य़ह बात तब कहीं जब शरद पवार गुट के वकील ने यह बताया कि जो डिस्क्लेमर दिया जा रहा है उसमें परोक्ष रूप से दोनों को एक बताया जा रहा है। अजित पवार के वकील ने अदालत से कहा कि शरद पवार गुट द्वारा ये कहना कि आदेश का पालन नही किया जा रहा ये मतदाताओं को भ्रमित करना है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम इस बात का फैसला नहीं कर सकते कि मतदाता क्या सोचता है। जबकि जस्टिस उज्जल भुयान ने कहा कि हमें मतदाताओं को भी कम नहीं आंकना चाहिए।

क्या लोग एनसीपी के दोनों खेमों से अंजान

शरद पवार के वकील अभिषेक सिंघवी ने आरोप लगाया कि अजित गुट इस मामले को 20 नवंबर (मतदान की तारीख) तक लटकाना चाहता है। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या आपको लगता है कि महाराष्ट्र के मतदाता पार्टी के बीच बंटवारे के बारे में नहीं जानते? शरद पवार गुट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस बात को अलग तरीके से देखें तो इनकी सोच यह है कि पवार परिवार एक है और उसी नाम पर वोट मांगे जाएँ, आप ऐसा नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप कितनी सीटों पर आमने सामने चुनाव लड़ रहे हैं? अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दोनो दल 36 सीटों पर आमने सामने है और यह सबसे ज़्यादा मायने रखता है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब एक-दूसरे के खिलाफ़ आमने सामने है तो मतदाता कैसे भ्रमित होंगे? हम दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश करेंगे कि आप अपनी लड़ाई के मैदान पर ध्यान केंद्रित करें।

इस देश के लोग बहुत समझदार हैं और वोट करना जानते हैं और यह पहचान सकते हैं कि शरद पवार कौन है और अजित पवार कौन है। न्यायालय के आदेश का ईमानदारी से पालन किया जाना चाहिए और उसका सम्मान किया जाना चाहिए। ⁠हमें नहीं पता कि वीडियो प्रभाव डालते हैं या नहीं। आप (सिंह) उन वीडियो के बारे में पता करें और शरद पवार वाले वीडियो का इस्तेमाल न करें। अपनी अलग राजनीतिक पहचान रखें।

 

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख