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मुंबई: मुंबई में डेल्टा प्लस के 11 मामलों के बीच वैक्सीन की कमी बरकरार है। मुंबई के सरकारी और बीएमसी द्वारा संचालित वैक्सीनेशन सेंटर फिर दो दिन के लिए बंद हैं और लोग परेशान। तो कई टीका लगवाने के बाद अपने सर्टिफिकेट के लिए टीकाकरण केंद्रों के बाहर लम्बा इंतज़ार कर रहे हैं। वैक्सीन की थमी रफ़्तार से ऐसे वक़्त में चिंता बढ़ाती है जब पाबंदियाँ कम हो रही हैं और डेल्टा प्लस वेरीयंट के मामले राज्य में बढ़कर 65 तक पहुंच गए हैं।

महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस के 20 नए मरीज़ आने के बाद, कुल मामले बढ़कर 65 पहुंच गए हैं। मुंबई में सबसे तेज़ बढ़ोतरी हुई। 7 नए मरीज़ के बाद अब मुंबई में कुल 11 डेल्टा प्लस के मरीज़ हो गए हैं। 13 जलगांव से हैं, 12 रत्नागिरि से, ठाणे और पुणे में छह-छह, पालघर में तीन, रायगढ़, नांदेड़ और गोंदिया में दो-दो मामले हैं। सिंधुदुर्ग, औरंगाबाद, कोल्हापुर, सांगली, बीड, नंदुरबार, अकोला और चंद्रपुर से एक-एक। इन 65 डेल्टा प्लस वेरिएंट के मरीजों में से 32 पुरुष और 33 महिलाएं पाई गई है। सबसे ज्यादा 33 डेल्टा प्लस मरीज 19 साल से 45 साल तक की उम्र के हैं।

मुंबई के कोविड जंबो सेंटर जो ताउते तूफ़ान के बाद मरम्मत के लिए बंद हुए थे वो डेल्टा प्लस के बढ़ रहे मामलों और अनलॉकिंग के बीच फिर शुरू हो रहे हैं। इधर महाराष्ट्र कोविड टास्क फ़ोर्स कहती है कि डेल्टा वेटिएँट और डेल्टा प्लस एक जैसे ही वार करते हैं।

बीकेसी कोविड जंबो सेंटर के डीन डॉ राजेश डेरे का कहना है कि इन्स्ट्रक्शन के मुताबिक़, "बीकेसी जंबो सेंटर होल्ड पर था, लेकिन अब फिर शुरू हो रहा है। यहाँ डेल्टा प्लस का मामला तो नहीं है, लेकिन डेल्टा प्लस के बढ़े मामले और पॉजिटिविटी देखते हुए हम एहतियातन ये जंबो सेंटर फ़ेज़ वाइज़ शुरू कर रहे हैं। महाराष्ट्र टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ राहुल पंडित के मुताबिक,"डेल्टा वेरीयंट ही इतना घातक और संक्रामक है की डेल्टा वेरीयंट और डेल्टा प्लस में कुछ ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है। दूसरी वेव डेल्टा वेरीयंट की ही थी जिसमें से क़रीब क़रीब हम बाहर निकल रहे हैं। ((पैच काउंटर 1:00)) इस वक़्त हमें टेस्टिंग और कांटैक्ट ट्रेसिंग पर बहुत ज़ोर देना है।"

इधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन—महाराष्ट्र ने राज्य में क़रीब 11 ज़िलों में कम हो रही टेस्टिंग पर सवाल उठाए हैं। आईएमए महाराष्ट्र के प्रवक्ता डॉ अविनाश भोंडवे के मुताबिक, "अभी भी महाराष्ट्र के 11 ज़िलों में पोसिटिविटी रेट 5% से ऊपर है, कांटैक्ट ट्रेसिंग बिल्कुल ही नहीं है, ((पैच काउंटर- 0:52)) सरकारी और म्यूनिसिपल टेस्टिंग सेंटर्स में एंटीजेन टेस्टिंग की जाती है, और नेगेटिव आने के बाद उन्होंने लगता है कोविड नहीं लेकिन ऐसे में आरटीपीसीआर टेस्टिंग होनी चाहिए जो नहीं होती है, असल में काफ़ी ज्यादा मामले हो सकते हैं।"

राज्य के दस जिलों ने 3 अगस्त से 9 अगस्त के बीच सप्ताह में 1,500 से 6,000 से कम के कोविड परीक्षण किए हैं, जिसको लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग बढ़ाने की निर्देश दिए हैं और डेल्टा प्लस वाले 17 ज़िलों में ज़्यादा से ज़्यादा टेस्टिंग बढ़ाए जाने की कोशिश है।

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