अहमदाबाद: गुजरात दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए 24 आरोपियों को दोषी करार दिया है और 36 को बरी किया गया है। दोषियों की सजा का ऐलान अगले हफ्ते होगा। 28 फरवरी 2002 को हजारों की हिंसक भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था। इसमें 69 लोग मारे गए थे, जिनमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री भी थे। 39 लोगों के शव बरामद हुए थे और 30 लापता लोगों को सात साल बाद मृत मान लिया गया था। इस मामले की सुनवाई 2009 में शुरू हुई थी। कुल 66 आरोपी थे, जिनमें चार की मौत हो चुकी है। 9 अब भी जेल में हैं। कुल 338 लोगों की गवाही हुई है। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस मामले में 2010 में पूछताछ हुई थी। एसआईटी रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी। 15 सितंबर 2015 को सुनवाई ख़त्म हो गई थी। पीड़ित परिवार आरोपियों के लिए कड़ी सज़ा की मांग कर रहा है। गुजरात के अहमदाबाद शहर के मेघाणीनगर इलाके कि गुलबर्ग सोसायटी में 28 फरवरी, 2002 को जो कहर बरपा वो दुख दर्द अब भी भुक्तभोगियों की जिंदगी में दिखता है। रूपा मोदी इकलौती पारसी थीं जो पूरी तरह से मुस्लिमों की उस सोसायटी में रहती थीं। उनका 14 साल का बेटा तब से जो गुमशुदा हुआ, वह आज तक नहीं मिला है। उसके आंसू और दर्द थम नहीं रहे हैं। उसकी ज़िन्दगी जैसे 28 फरवरी, 2002 को ही थम सी गई है। 77 साल की ज़किया जाफरी तो न्याय की लड़ाई की आइकन बन गई हैं।
उन्होंने भी अपने शौहर और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी को खोया। 14 साल से बीमारी के बावजूद वो लगातार अलग अलग एजेंसियों में न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। एसआईटी से लेकर कोर्ट तक हर जगह उन्होंने लड़ाई लड़ी है। गोधराकांड के एक दिन बाद यानी 28 फरवरी, 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट की गुलबर्ग सोसायटी पर हमला किया गया। गुलबर्ग सोसायटी में सभी मुस्लिम रहते थे सिर्फ एक पारसी परिवार रहता था। पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी भी वहां रहते थे।