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मुंबई: शिवसेना ने शनिवार को मंदी के हालात, जा रही नौकरियों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की और ऑटो सेक्टर में मंदी और अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल को भी आड़े हाथों लिया। अपने मुखपत्र सामना में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने शुक्रवार को कहा था कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक 'अच्छा काम' कर रहे थे, उनके मंत्री अर्थव्यवस्था और रोजगार पर ऊलजलूल बयान देकर प्रधानमंत्री का काम मुश्किल कर रहे थे।

'मोदी-शाह के काम को कठिन बना रहे उनके ही मंत्री'

सामना में लिखा है, 'आर्थिक हालात और रोजगार को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और हम इन सवालों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री बिगड़ती अर्थव्यवस्था और रोजगार की स्थिति का मजाक बनाकर मोदी और शाह के काम को और कठिन बना रहे हैं।' शिवसेना ने उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के 'आइंस्टीन द्वारा गुरुत्वाकर्षण की खोज' वाले बयान पर उन्हें निशाने पर लिया और केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी को लेकर ओला-उबर को जिम्मेदार बताने वाले बयान पर उन्हें भी आड़े हाथों लिया।

'विज्ञान के आधार को बदलने जा रहे हैं हमारे मंत्री'

सामना में लिखा है, 'हमारे मंत्री विज्ञान के आधार को बदलने जा रहे हैं। लेकिन क्या इन मंत्रियों की रिसर्च लाखों लोगों को रोजगार दे पाएगी जो बेरोजगार हो गए हैं?' सामना में लिखा है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी के लिए सीतारमण की 'रिसर्च' आइंस्टीन और न्यूटन से कहीं बड़ी है। शिवसेना ने कहा, 'मुंबई-महाराष्ट्र मेट्रो रेल के उद्धाटन के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि करीब 60 लाख लोग मेट्रो की सहायता से रोजाना सफर करेंगे। क्या इसका मतलब यह है कि इससे भी ऑटो क्षेत्र प्रभावित होगा और लोग नौकरियां खोते रहेंगे?'

'मंदी के हालात स्वीकार करने को तैयार नहीं वित्त मंत्री'

केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए सामना में लिखा गया है, 'व्यापारी, किसान और नौकरीपेशा लोग अपनी आय का साधन खो रहे हैं और यह मुद्दा न्यूटन या आइंस्टीन से संबंधित नहीं है। यही बात मनमोहन सिंह ने भी कही थी। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी आई है लेकिन देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।'

सामना में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का उल्लेख करते हुए लिखा है कि केंद्र सरकार केवल अखबारों की सुर्खियां बन रही थी। इसमें लिखा है, 'अगर हम अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति समझना चाहते हैं तो हमें हेडलाइन मैनेजमेंट पर मनमोहन सिंह के बयान को समझना होगा।'

आगामी चुनाव में भाजपा ने शिवसेना को की 106 सीटों की पेशकश

बता दें कि महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में अपने प्रमुख गठबंधन सहयोगी शिवसेना को 106 सीटों की पेशकश की थी। हालांकि ऐसा नहीं लगता कि शिवसेना 120 से कम सीटें स्वीकार करेगी। महाराष्ट्र में 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में इन राजनीतिक दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन बाद में एक साथ आ गए थे। भाजपा ने 122 सीटों पर जबकि शिवसेना ने 63 सीटों पर जीत हासिल की थी।

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