नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाजी अली दरगाह ट्रस्ट को आज (गुरूवार) निर्देश दिया कि मुबई स्थित इस प्रसिद्ध मस्जिद के आसपास 908 वर्ग मीटर क्षेत्र से आठ मई तक अतिक्रमण हटाया जाये। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि दरगाह वाला क्षेत्र संरक्षित रहेगा। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने यह आदेश उस वक्त दिया जब हाजी अली ट्रस्ट ने स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाने का काम अपने हाथ में लेने की पेशकश की। पीठ ने यह भी कहा कि अतिक्रमण हटाने का काम उन दो प्राधिकरणों की संतुष्टि के अनुरूप होगा जिनके बारे में उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के आदेश में संकेत दिया था। बंबई उच्च न्यायालय ने हाजी अली दरगाह की ओर जाने वाली सड़क पर गैरकानूनी अतिक्रमण हटाने के लिये बृहन्नमुंबई महानगर पालिका और कलेक्टर को संयुक्त कार्य बल गठित करने का आदेश दिया था। इससे पहले, ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उन्हें एक ट्रस्टी से निर्देश प्राप्त हुआ है कि ट्रस्ट खुद ही स्वेच्छा से अतिक्रमण हटायेगा। इसके बाद, पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम ट्रस्ट को मस्जिद की जमीन के पट्टे के दायरे में आने वाले 171 वर्ग मीटर क्षेत्र से अलग अतिक्रमण हटाने की अनुमति देते हैं।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रस्ट की पेशकश के मद्देनजर वह उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप संयुक्त कार्यबल को अतिक्रमण हटाने से रोक रहा है। न्यायालय ने इस इलाके के आसपास के क्षेत्र के सौन्दर्यीकरण की योजना न्यायालय के समक्ष विचारार्थ पेश करने की भी छूट दी। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि दरगाह के आसपास से अतिक्रमण हटाने से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत के अलावा कोई अन्य अदालत किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के वकील को ट्रस्ट से यह निर्देश प्राप्त करने के लिये कहा था कि क्या वह 908 वर्ग मीटर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने और उसे गिराने में सहयोग के लिये तैयार है।