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मुंबई: बीएमसी चुनाव में तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस किंगमेकर की भूमिका में नजर आने लगी है। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक शिवसेना ने मेयर पद पर कब्जे के लिए कांग्रेस से समर्थन मांगा है। लेकिन कांग्रेस ने भी एक शर्त रख दी है। सूत्रों के अनुसार, नौ मार्च को होने वाले मेयर के चुनाव में समर्थन के बदले में उसने कांग्रेस को डिप्टी मेयर का पद देने का वादा किया है। अगर समीकरण ऐसे बनते हैं तो फिर राज्य सरकार में भाजपा और शिवसेना की दोस्ती पर खतरा मंडरा सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शिवसेना फिलहाल राज्य सरकार में शामिल है। जब वह राज्य सरकार से खुद को अलग करेगी तब उसे बीएमसी में समर्थन देने पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाना साधा है। शिवसेना के समर्थन से ही फडणवीस सरकार सत्ता में है। अगर शिवसेना अपना समर्थन वापस ले लेती है तो फडणवीस सरकार अल्पमत में आ जाएगी। ऐसे में फडणवीस सरकार के सामने बहुमत का संकट आ जाएगा और बीएमसी में शिवसेना को समर्थन देकर वह भी सत्ता में आ जाएगी। इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास वर्षा पर कल देर रात हुई भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में नगर निगम चुनावों के बाद की स्थिति की समीक्षा की गयी और बीएमसी के विकल्पों पर विचार किया गया।

बैठक से पहले मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि भाजपा बीएमसी के प्रशासन में पारदर्शिता के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी। उन्होंने बीएमसी में कांग्रेस के साथ किसी तरह के गठजोड़ की संभावनाओं को खारिज कर दिया। बीएमसी चुनावों में भाजपा को 82 सीटें मिली हैं और शिवसेना आज तीन निर्दलीयों के समर्थन के साथ 87 के आंकड़े पर पहुंच गयी है। 227 सदस्यीय निगम में बहुमत के लिए 114 का जादुई आंकड़ा छूना होगा।

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