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मुंबई: निकाय चुनावों के दौरान 227 में से सिर्फ 31 सीटें जीत अपना सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस ने कहा है कि वो ऐसा कुछ भी नहीं करेगी, जिससे भाजपा या शिवसेना को देश की सबसे अमीर महानगर पालिका पर कब्जा करने की कोशिश में मदद मिले। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम ने बताया, हम अपने वैचारिक रूख को कमजोर नहीं होने देंगे। लोगों ने हमें हराया है और विपक्ष में बैठने का आदेश दिया है। हम उनके फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन मतदाताओं ने, एक दूसरे से बेहद कड़वाहट भरी जंग लड़ने वाले, भगवा दलों को भी सत्ता की चाभी नहीं सौंपी है। कांग्रेस इन दोनों दलों की मदद नहीं करेगी, लेकिन उनके बीच जारी जंग और बढ़ते मतभेद को देखना पसंद करेगी। उन्होंने कहा कि लोग अब ये देखेंगे कि कैसे पारदर्शिता के नाम पर वोट मांगने वाले दल खरीद—फरोख्त में जुटे हैं। भाजपा ने बीएमसी चुनावों के लिए पारदर्शिता को मुख्य मुद्दा बनाया था। मुंबई में आए खंडित जनादेश की वजह से भाजपा और शिवसेना के बीच समीकरण बदलने की उम्मीद है क्योंकि दोनों ही अपने दम पर बीएमसी पर शासन करने की स्थिति में नहीं हैं।

ये हालांकि अब तक साफ नहीं है कि केंद्र और राज्य सरकार में साझेदार भाजपा और शिवसेना बीएमसी पर शासन के लिए हाथ मिलाएंगे या नहीं।

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