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मुंबई: बंबई हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को वह जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें फिल्म ‘‘केदारनाथ’’ की रिलीज का विरोध करते हुए कहा गया था कि यह फिल्म धार्मिक भावनाएं आहत करने के साथ साथ भगवान केदारनाथ की गरिमा को भी घटाती है। सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान की मुख्य भूमिकाओं वाली यह फिल्म इसी शुक्रवार को रिलीज होनी है। मुख्य न्यायमूर्ति नरेश पाटिल और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनीं। फिर उन्होंने जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह सुनवाई योग्य नहीं है।

दो स्थानीय वकीलों ... प्रभाकर त्रिपाठी और रमेशचंद्र मिश्रा द्वारा दायर इस याचिका में दावा किया गया था कि वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ की पृष्ठभूमि में बनी इस फिल्म में न केवल आपदा की गंभीरता को कम करके दिखाया गया है बल्कि यह धार्मिक भावनाएं भी आहत करती है। याचिकाकर्ताओं ने कहा ‘‘कहानी काल्पनिक है। फिल्म एक हिंदू ब्राह्मण लड़की और एक मुस्लिम लड़के की प्रेम कहानी बताती है जो विश्वास से परे है। इसे उत्तराखंड में बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालुओं की जान लेने वाली प्राकृतिक आपदा से जोड़ा गया है।’’

उन्होंने दावा किया कि फिल्म भगवान केदारनाथ की गरिमा को घटाती है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) और फिल्म के निर्माताओं ने इस जनहित याचिका का विरोध किया। फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी दाखपालकर ने पीठ के समक्ष कहा कि फिल्म एक प्रेम कहानी बताती है और केदारनाथ का उपयोग ‘सेटिंग’ के तौर पर किया गया है। ‘‘दो अलग अलग आस्थाओं के लोगों की प्रेम कहानी बताने वाली इस फिल्म का इरादा किसी को भी आहत करने का कतई नहीं है।’’

सीबीएफसी के वकील अद्वैत सेठना ने पीठ से कहा कि फिल्म को प्रमाणपत्र देने के लिए बोर्ड के दिशानिर्देश बहुत कड़े हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाणपत्र देने की खातिर सभी नियमों का पालन किया है। सेठना और दाखपालकर दोनों ने ही कहा कि गुजरात और उत्तराखंड उच्च न्यायालयों ने फिल्म का विरोध करने वाली ऐसी ही अपीलों को खारिज कर दिया है। इस पर पीठ ने यह जनहित याचिका खारिज करने का फैसला किया।

बहरहाल, पीठ ने सुझाव दिया कि प्राधिकारी विशेषज्ञों की एक इकाई गठित करने के बारे में सोच सकते हैं जो फिल्म के ऑनलाइन रिलीज होने वाले ट्रेलर और पोस्टरों की समीक्षा तथा उनका नियमन करें। पीठ के अनुसार, फिल्म के ऑनलाइन रिलीज होने वाले ट्रेलर और पोस्टरों की फिलहाल सीबीएफसी या ऐसे ही निकाय द्वारा कोई निगरानी नहीं हो रही है।

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