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मुंबई: बॉलीवुड की चहेती अदाकारा स्मिता पाटिल को गुजरे हुए 32 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी वह लोगों के दिलों में जिंदा हैं। स्मिता पाटिल का नाम देश के दिग्गज आर्ट कलाकारों में स्मिता का नाम आज भी गिना जाता है। आज यानी 17 अक्टूबर को उनका जन्मदिन मनाया जाता है। स्मिता पाटिल की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनकी बढ़ती शोहरत के साथ-साथ विवादों के वजह से भी वो चर्चा में रहीं। स्मिता पाटिल पर घर तोड़ने का भी आरोप लगाया जाता रहा है। तो आइए जानें स्मिता पाटिल के जन्मदिन के खास मौके पर उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों के बारें में...।

स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर 1955 को पुणे में हुआ था। इनके पिता शिवाजीराव पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके है व माता एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। स्मिता के माता पिता का उन पर गहरा प्रभाव रहा वे एक सक्रिय नारीवाद थीं और मुंबई के महिला केंद्र की सदस्य भी थीं। स्मिता पाटिल बहुत ही शांतिप्रिय महिला थीं। स्मिता की शादी एक्टर राज बब्बर से हुई। बता दें कि स्मिता पाटिल से शादी करने से पहले ही राज बब्बर ने सज्जाद जाहिर की बेटी नादिरा से शादी की थी।

राज बब्बर ने स्मिता से शादी करने के लिए राज ने अपना घर और पहली पत्नी को छोड़ दिया था। जब राज बब्बर के साथ स्मिता की नजदीकियां बढ़ने लगी थीं तब मीडिया ने उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी थीं।

 

साल 1982 में राज बब्बर ने स्मिता पाटिल के साथ पहली फिल्म भीगी पलकें की थी। इस फिल्म के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं थीं। बता दें कि स्मिता के लाइफ में एक समय ऐसा जब वह बिल्कुल अकेली हो गई थीं। उस समय राज बब्बर से भी दूरियां बढ़ने लगी थीं। एक समय उनकी लाइफ में ऐसा भी आया जब स्मिता ने यह फैसला कर लिया था कि वो राज से अपना रिश्ता तोड़ देंगी। स्मिता पाटिल मां बनने के 15 दिन बाद (13 दिसंबर 1986) को चल बसीं। उनकी मौत का कारण प्रसव के की वजह से हुए वायरल इन्फेक्शन को बताया गया था। स्मिता को वायरल इन्फेक्शन की वजह से ब्रेन इन्फेक्शन हुआ था।

बता दें कि 28 नवंबर को ही प्रतीक का जन्म हुआ था। बेटे प्रतीक के जन्म के बाद वो घर आ गईं थी। स्मिता हॉस्पिटल जाने के लिए बहुत जल्दी तैयार नहीं होतीं थीं। स्मिता अपने बेटे प्रतीक से बेहद प्यार करती थीं जिसकी वजह से वह उसे अकेला छोड़ कर अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं होतीं थीं, लेकिन जब इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया तो उन्हें जसलोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। स्मिता के शरीर के अंग एक के बाद एक फेल होते चले गए। यही वह दौर था जब स्मिता अपने आखिरी दिनों में बहुत अकेला महसूस करने लगी थीं। राजबब्बर और उनके रिश्ते में काफी दूरियां आ गईं थीं।

राज बब्बर उनके आखिरी दिनों में उनसे मिलने के लिए रोज हॉस्पिटल जाते लेकिन दुरियों की वजह से वह अपने दिल की बात उनसे नहीं कह पाईं। राजबब्बर से स्मिता ने जो बात नहीं कह पाई वह उन्होनें अपने आखिरी समय में मेकअप आर्टिस्ट और सहयोगियों से कही थीं। बता दें कि स्मिता अपने मेकअप आर्टिस्ट से काफी घुली-मिली थीं, वह अपना ज्यादातर समय अपने मेकअप आर्टिस्ट और सहयोगियों के साथ बिताती थीं, बातों बातों में हमेशा अपनी आखिरी इच्छा की बात करती थीं।

स्मिता पाटिल की एक आखिरी इच्छा थी। उनके मेकअप आर्टिस्ट दीपक सावंत के मुताबिक, "स्मिता कहा करती थीं कि दीपक जब मैं मर जाउंगी तो मुझे सुहागन की तरह तैयार करना।" निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक़, स्मिता के शव का सुहागन की तरह मेकअप किया गया। बता दें कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मराठी टेलीविजन में बतौर समाचार वाचिका काम करने लगी । इसी दौरान उनकी मुलाकात जाने माने निर्माता निर्देशक श्याम बेनेगल से हुयी । श्याम बेनेगल उन दिनों अपनी फिल्म 'चरण दास चोर' बनाने की तैयारी में थे।

1975 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म 'चरणदास चोर' स्मिता पाटिल ने बॉलीवुड डेब्यू किया था। इस फिल्म की सफलता के बाद उनकी झोली में कमर्शियल फिल्मों की भरमार हो गई। 70-80 के दशक में स्मिता ने 'मंथन', 'आक्रोश', 'बाजार', 'अर्थ' और 'मंडी' जैसी यादगार फिल्मों में काम किया। फिल्म निर्माता महेश भट्ट के जीवन पर आधारित फिल्म 'अर्थ' से स्मिता को खासी पहचान मिली।

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