नई दिल्ली: लोकप्रिय उर्दू कवि जोगिन्दर पाल की किताब ‘नदीद’ अपने भीतर बहुत सी परतें समेटे हुए है और जो भी इसे पढ़े उसे आंखें बंद कर मन की आंखों को खोल कर पढ़ना चाहिए। ‘नदीद’ के बारे में ये राय प्रख्यात फिल्म निदेशक, गीतकार और गजलकार गुलजार साहब का कहना है। गुलजार साहब ने यहां जश्न-ए-रेख्ता समारोह में इस किताब के अंग्रेजी अनुवाद के विमोचन के अवसर पर कही। गुलजार साहब ने कहा, ‘मुझे नदीद की जानकारी है और मैं अंधता शब्द के भीतर निहित अर्थ को भी समझता हूं। मुझे पता है कि जोगिन्दर पाल कौन हैं। आप उनकी कहानी को केवल एक बार पढ़कर नहीं समझ सकते। इस किताब के हर पन्ने में कहानी की कई परते हैं।’ गुलजार ने कहा, ‘उनका लेखन घने परदों में लिपटा है और उनके लेखन का अर्थ समझने के लिए आपको पढ़कर अपनी आंखें बंद कर भीतर में कल्पनाओं के रेखाचित्र खींचने होंगे। और यही जोगिन्दर की महारत है।’ अंग्रेजी में इस किताब का अनुवाद ‘ब्लाइंड’ शीषर्क से पाल की बेटी सुकृता पाल कुमार ने किया है। पिछले साल पाल का निधन हो चुका है।
उनकी लेखन शैली की सराहना करते हुए गुलजार ने कहा, ‘किताब में हर नज्म एक पन्ना है और हर पन्ना एक नज्म है।’