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मुंबई: प्रख्यात गीतकार-फिल्मकार गुलजार का मानना है कि समय के साथ बदलते फिल्मी संगीत में कुछ भी गलत नहीं है और व्यक्ति को इसे अपनाना चाहिए और इसे आत्मसात करना सीखना चाहिए। उनका कहना है कि किसी फिल्म में किरदार के मिजाज के मुताबिक गाने लिखे जाते हैं और इन गानों की तुलना 50 और 60 के दशक के गानों से करना अनुचित है। उन्होंने कहा, ‘गाने उस फिल्म के मुताबिक होंगे। यदि कोई किरदार शराब के नशे वाला कोई गाना गाना चाहता है तो वह ‘दिल ए नादान.’ नहीं गाएगा, बल्कि ‘गोली मार भेजे में’ गाना गाएगा। किरदारों के मुताबिक भाषा बदलती है।’ गुलजार ने कहा, ‘समय बदलेगा और संगीत भी। हमारी रफ्तार बदली है, कपड़े बदले हैं, खाने की आदतें बदली हैं तो संगीत जस का तस क्यों रहना चाहिए? वह भी बदलेगा।’

 

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