रियो डि जिनेरियो: रियो ओलंपिक से पहले वे प्रबल के दावेदारों में शामिल नहीं थी लेकिन तीन महिला खिलाड़ियों ने अपनी चमक बिखेरते हुए भारत को ब्राजील के शहर से खाली हाथ लौटने से बचा लिया जिसने अपना अभियान कुछ अच्छी, बुरी और खराब यादों के साथ समाप्त किया। सारी चुनौतियों को पार करते हुए पीवी सिंधु, साक्षी मलिक और दीपा करमाकर ‘नायिकायें’ बन गयी, जिनकी उम्मीद नहीं थी। इस तरह इन तीनों ने देश को बार्सिलोना 1992 के बाद पहली बार खाली हाथ लौटने से बचा लिया। इन तीनों ने भारत के लिये कुछ चीजें पहली बार कीं। सिंधु 21 वर्ष की उम्र में ओलंपिक पदक जीतने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बन गयी जिन्होंने रजत पदक जीता जो बैडमिंटन में पहले कभी नहीं आया है। साक्षी ने कांस्य पदक जीता और यह भी महिला कुश्ती में पहली बार आया। भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा कांस्य पदक से महज 0.150 अंक के अंतर से चूक गयी लेकिन उसकी जोखिम भरी प्रोदुनोवा वाल्ट ने देशवासियों का दिल जीत लिया। ललिता बाबर ओलंपिक इतिहास में 32 साल बाद ट्रैक स्पर्धा के फाइनल के लिये क्वालीफाई होने वाली दूसरी भारतीय महिला बनी, उनसे पहले पीटी उषा ने लास एंजिल्स 1984 में पीटी उषा ने यह कारनामा किया था। ललिता 3000 मीटर स्टीपलचेज में 10वें स्थान पर रही थीं। वहीं 18 वर्षीय गोल्फर अदिति अशोक दूसरे राउंड के बाद शीर्ष 10 में चल रही थी लेकिन वह ओवरआल सात ओवर 291 के स्कोर से खिसककर 41वें स्थान पर रहीं।लेकिन कुछ दुखद क्षण भी भारत की झोली में आए, तब खेल पंचाट ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी की क्लीन चिट के फैसले को बदलते हुए पहलवान नरसिंह यादव पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया।
इस तरह डोप का शर्मसार करने वाला साया फिर से भारत के सामने आ गया, हालांकि नरसिंह ने खुद को निर्दोष बताया और साजिश की बात की लेकिन उन्हें खेल गांव से बाहर कर दिया गया। मैदान के बाहर के विवादों में खेल मंत्री विजय गोयल के दल को आयोजन समिति द्वारा असभ्य करार किया गया जिसने उनके एक्रिडिटेशन को रद्द करने की धमकी दी। भारतीय एथलीटों के दल के लंबी दूरी के कोच निकोलई स्नेसारेव को स्थानीय पुलिस स्टेशन में आधे दिन के लिए हिरासत में लिया गया था और बाद में छोड़ दिया। खेल गांव में एक महिला डाक्टर ने उनके खिलाफ दुर्व्यवहार की शिकायत दर्ज कराई थी। भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर खिलाड़ियों को ब्राजील में भारतीय दूतावास और खेल एवं युवा मामलों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में महज मूंगफली पेश की गई। मैदान का प्रदर्शन भी कोई उत्साहवर्धक नहीं था। 118 सदस्यों के सबसे बड़े दल ने 15 स्पर्धाओं में शिरकत की, जिसमें देश ने लंदन 2012 में छह पदकों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जतायी थी लेकिन एथेंस 2004 के बाद पहली बार निशानेबाजों की झोली खाली रही, मुक्केबाज भी कोई पदक पंच नहीं लगा सके। आठ स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हाकी टीम ने 36 साल में पहली बार क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया लेकिन आगे नहीं बढ़ सकी और बेल्जियम से 1-3 से हारकर बाहर हो गई। टेनिस में भी विवादों का दौर जारी रहा, जिसमें 18 बार के ग्रैंड स्लैम युगल विजेता लिएंडर पेस सातवें ओलंपिक में देर से खेल गांव पहुंचे। इससे वह पुरुष युगल अभियान के लिए वह रोहन बोपन्ना के साथ जरूरी अभ्यास नहीं कर सके और पहले दौर में बाहर हो गए। सानिया मिर्जा और प्रार्थना थोम्बरे की महिला युगल जोड़ी का भी यही हाल रहा। बाद में सानिया और बोपन्ना की मिश्रित युगल जोड़ी ने पदक की उम्मीद जगायी लेकिन दोनों कांस्य पदक के प्ले ऑफ में रादेक स्टेपानेक और लुसी ह्रराडेका से हार गए। तीरंदाजी में भी फ्लाप शो रहा, जिसमें दीपिका कुमारी फिर से हाइप पर खरी नहीं उतरी और उन्होंने कुछ भारी गलतियां की जिससे महिला टीम क्वार्टर फाइनल में शूट ऑफ में रूस से हारकर बाहर हो गयी। निशानेबाजी में सबसे ज्यादा निराशा मिली, जिसने लंदन 2012 में देश को दो पदक दिलाए थे और बीजिंग 2008 में अभिनव बिंद्रा ने ऐतिहासिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। पिछले तीन ओलंपिक में निशानेबाजी में पदकों की कुल संख्या चार है लेकिन इस बार वे खाली हाथ लौटे। दुनिया के तीसरे नंबर पर काबिज जीतू राय से सभी को उम्मीदें थी लेकिन वह 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में क्वालीफाई करने के बाद दबाव में आ गए। वह अपनी पसंदीदा 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में भी नाकाम रहे, जिसमें उन्होंने इस साल बैंकाक में विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता था। बिंद्रा अपने पांचवें और अंतिम ओलंपिक में पदक के करीब पहुंचे लेकिन चौथे स्थान पर रहे। वह शूटआफ में यूक्रेन के सरहिये कुलीश के साथ शूटआफ में 0.5 अंक से पिछड़ गए जिन्होंने बाद में रजत पदक जीता। वहीं, सीनियर निशानेबाज गगन नारंग ने भी निराश किया, जिन्होंने 50 मीटर राइफल थ्री प्रोन, 50 मीटर राइफल प्रोन और 10 मीटर एयर राइफल में भाग लिया। लेकिन लंदन ओलंपिक के कांस्य पदकधारी किसी में भी प्रभावित नहीं कर सके। हीना सिद्धू, अयोनिका पॉल और अपूर्वी चंदेला भी शुरुआती चरण में बाहर हो गई और उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकीं। भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ के अध्यक्ष रनिंदर सिंह ने निशानेबाजों को निजी कोच रखने की अनुमति देने की तकनीकी चूक स्वीकार की। वहीं ओलंपिक खत्म होने से चार दिन पहले तब पदक का इंतजार दर्दनाक और शर्मसार बनता जा रहा था, तब रोहतक की 23 वर्षीय पहलवान साक्षी शेरनी की तरह खेली जबकि योगेश्वर दत्त सरीखों ने निराश किया। इस दिन साक्षी की अधिक चर्चित साथी विनेश फोगाट 48 किग्रा के क्वार्टर फाइनल में चीन की सुन यानन के खिलाफ मुकाबले के दौरान चोटिल हो गयी और आखिर में वह रोते हुए बाहर निकली। साक्षी ने हालांकि रेपेचेज के कांस्य पदक मुकाबले में किर्गीस्तान के आइसुलु टिनबेकोवा से 0-5 से पिछड़ने के बावजूद वापसी करते हुए 8-5 से जीत दर्ज की। साक्षी के जीत दर्ज करते ही भारतीय खेमे में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और उनके कोच कुलदीप मलिक ने उन्हें अपने कंधों पर उठा दिया। अगले दिन सिंधु ने अपने से अधिक रैंकिंग के खिलाड़ियों को हराने का क्रम जारी रखते हुए विश्व में नंबर छह जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा ने फाइनल में जगह बनाकर अपने लिए रजत पदक पक्का किया। सिंधु ने पहले विश्व की आठवें नंबर की तजु यिंग ताइ को प्री क्वार्टर फाइनल में और विश्व नंबर दो वांग यिहान को क्वार्टर फाइनल में हराया था लेकिन फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन उन पर भारी पड़ी। सिंधु ने पहला गेम ने जीता लेकिन इसके बाद अगले दोनों गेम गंवा बैठी। पुरुष हॉकी में भारतीय टीम लीग चरण में आयरलैंड और अर्जेंटीना को हराकर क्वार्टर फाइनल में पहुंची लेकिन बेल्जियम ने उसे यहां से आगे नहीं बढ़ने दिया। महिला हाकी टीम ने 36 साल बाद ओलंपिक में जगह बनायी थी लेकिन उसे ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका से हार का सामना करना पड़ा जबकि वह केवल जापान को 2-2 से ड्रा पर रोक पाई। मुक्केबाजी में विकास कृष्ण ने क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर कुछ उम्मीद जगाई लेकिन वह भी इससे आगे बढ़ने में नाकाम रहे। अन्य दो मुक्केबाज शिव थापा और मनोज कुमार पहले दौर में ही बाहर हो गए। तीरंदाजी टीम रियो की परिस्थितियों से तालमेल बिठाने के लिये एक महीने पहले वहां पहुंच गई थी लेकिन सभी तीरंदाजों ने निराशा किया। महिला तीरंदाजी टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंची लेकिन वहां रूस से हार गयी। अतनु दास, दीपिका कुमारी और बोम्बायला देवी व्यक्तिगत वर्ग के अंतिम 16 से बाहर हो गए। गोल्फ में आदित अशोक पहले दो दिन शीर्ष दस में बनी रही लेकिन इसके बाद उनका प्रदर्शन खराब हो गया। पुरूष वर्ग में एसएसपी चौरसिया और अनिर्बान लाहिड़ी उम्मीद के अनुरूप खेल नहीं दिखा पाए और क्रमश: संयुक्त 50वें और संयुक्त 57वें स्थान पर रहे। मैराथन में टी गोपी और खेताराम ने अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाला लेकिन वे क्रमश: 25वें और 26वें स्थान पर रहे। भारत ने इसके अलावा तैराकी, जूडो, रोइंग, टेबल टेनिस और भारोत्तोलन में भी हिस्सा लिया था लेकिन इनमें उसका प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा।