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नई दिल्ली: पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली का मानना है कि सीमित ओवरों के मौजूदा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इतने लंबे समय तक यह जिम्मेदारी इसलिए निभा जा रहे हैं क्योंकि वह आलोचना का सामना करने को तैयार रहने और दबाव में होने के बावजूद धैर्य कायम रखने की कला में माहिर हैं। यह पूछने पर कि क्या कई बार धोनी की अनुचित आलोचना होती है, गांगुली ने कहा, ‘यह काम का हिस्सा है। धोनी इतने लंबे समय से कप्तान है और वह इन सबका आदी है। हम सब इसके आदी हो जाते हैं। साथ ही जब हम अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो हमें आसमान पर बैठा दिया जाता है।’ गांगुली ने यहां कार्यक्रम में कहा, ‘धोनी में दबाव की स्थिति में धर्य बनाए रखने की क्षमता है।

काफी लोगों ने मुझसे पूछा है कि आप उसके साथ रहे हैं तो बताइये वह धर्य बरकरार कैसे रखता है। मैं उन्हें कहता हूं कि वह इसे दिखाता नहीं है। वह अंदर से अलग है और बाहर से अलग। उसे ड्रेसिंग रूम में काफी सम्मान हासिल है। हम सिर्फ आलोचना को देखते हैं लेकिन भारत में उसे जितना सम्मान मिलता है वह अविश्वसनीय है।’ जब यह पूछा गया कि क्या वह अभी भारतीय क्रिकेट टीम की कोचिंग के लिए तैयार हैं तो गांगुली ने कहा कि अगर पेशकश होती भी है तो प्रशासनिक जिम्मेदारियों के कारण वह इसे स्वीकार नहीं कर सकते। गांगुली ने कहा, ‘मुझे नहीं पता क्योंकि अभी मेरे पास एक अन्य जिम्मेदारी है। मैं असल में क्रिकेट का संचालन (कैब अध्यक्ष के रूप में) कर रहा हूं। आप दोनों चीजें एक साथ नहीं कर सकते। फिलहाल (कोचिंग को लेकर) ना है क्योंकि मैं प्रशासक हूं जिस पर खेल के संचालन की जिम्मेदारी है।’’ संभवत: अगला कोच चुनने के लिए बनी हाई प्रोफाइल क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) में भूमिका के बारे में पूछने पर गांगुली ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता कि इस समिति का वजूद है भी कि नहीं। मुझे लगता है कि टीम अच्छा कर रही है और शायद में इस बारे में भविष्य में सोचना हो।’ बीसीसीआई अध्यक्ष बनने की संभावना पर गांगुली ने कहा, ‘मुझे सचमुच में नहीं पता। मैंने करियर शुरू किया है और मुझे नहीं पता कि क्या होगा और कहां अंत होगा। मैं जीवन में किसी चीज को खारिज नहीं करता और ना ही काफी आगे के बारे में सोचता हूं।’आत्मकथा के बारे में पूछने पर गांगुली ने समय की कमी की बात कही। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए आपको समय निकालना होगा। फिलहाल मैं काफी काम कर रहा हूं। मै मानद कार्य करता हूं और साथी ही मुझे आजीविका भी चाहिए। शायद कभी मुझे लिखने के लिए समय मिले।’

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