नई दिल्ली: सब्जी, मांस, मछली और अंडे जैसे खाने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति मई महीने में बढ़कर 2.92 प्रतिशत हो गयी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने 2.86 प्रतिशत तथा एक साल पहले अप्रैल 2018 में 4.58 प्रतिशत पर थी। अप्रैल में कीमत वृद्धि की दर अक्टूबर 2018 के बाद सर्वाधिक है। उस समय यह 3.38 प्रतिशत थी।
आंकड़ों के अनुसार खाद्य पदार्थों की श्रेणी में महंगाई दर अप्रैल में 1.1 प्रतिशत पर पहुंच गई जो मार्च में 0.3 प्रतिशत थी। सब्जियों की कीमतों में 2.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मार्च में इसमें गिरावट दर्ज की गयी थी। हालांकि फलों के दाम में अप्रैल में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले गिरावट दर्ज की गयी। ईंधन और बिजली की श्रेणी में महंगाई दर 2.56 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 2.42 प्रतिशत थी।
रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति पर गौर करता है। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की मौद्रिक नीति पर विचार करने के लिये जून की शुरुआत में बैठक होगी। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति करीब 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है।
आंकड़े के बारे में आरबीएल बैंक की अर्थशास्त्री रजनी ठाकुर ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार ही बढ़ रही है।
इस बीच, क्रिसिल रिसर्च ने खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष में 4 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान रखा है जो 2018-19 में 3.4 प्रतिशत थी। इसका कारण खाद्य मुद्रास्फीति के उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 3 प्रतिशत हो जाने की आशंका है जो पहले 0.1 प्रतिशत थी। गांवों में खुदरा मुद्रास्फीति 1.87 प्रतिशत रही जो मार्च में 1.8 प्रतिशत थी। वहीं शहरी क्षेत्रों में बढ़कर 4.23 प्रतिशत हो गयी जो इससे पूर्व महीने में 4.1 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय नमूना सर्वे कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा कीमत आंकड़े चुनिंदा शहरों और गांवों से एकत्रित किये गये हैं।