नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली धोखाधड़ी मामले में कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि समूह के पीछे कितने भी ताकतवर लोग क्यों न हो, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। समूह ने खरीदारों के साथ गंभीर धोखाधड़ी की है। सभी आरोपियों को आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आम्रपाली समूह ने आसमान की ऊंचाई तक जाकर लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। अब तक उपलब्ध साक्ष्यों व प्रमाणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि समूह ने खरीदार, बैंक और संबंधित प्राधिकरण के साथ छल किया है। पीठ ने कहा कि इस मामले में प्राधिकरण और बैंक अधिकारियों ने भी लोगों का विश्वास तोड़ने का काम किया है। इस गड़बड़ी में खरीदारों को नुकसान उठाना पड़ा है।
खरीदारों की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह पूरा मामला लोगों का भरोसा तोड़ने से जुड़ा है। खरीदारों से ली गई रकम को इधर-उधर कर दूसरी कंपनी में निवेश किया गया। खरीदारों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी बैंकों और प्राधिकरण की थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इन सभी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। भुगतान कार्यक्रम की प्राधिकरण ने निगरानी नहीं की। बिल्डर ने गलती की है तो उसका पंजीकरण रद्द किया जाना चाहिए।
खरीदार की ओर से पेश एक अन्य वकील ने कहा कि यह बैंकों की जिम्मेदारी बनती है कि उसने जो लोन दिया है, उस पर वह निगरानी रखे। बैंकों का यह देखना चाहिए कि बिल्डर लोन के पैसे को दूसरी जगह नहीं लगाए। इस पर पीठ ने कहा कि यह सब मिलीभगत से हुआ है। आम्रपाली समूह ने अपने अधिकारियों के साथ मिलकर नई-नई कंपनियों बनाईं। यहां तक कि चपरासी तक को कंपनी का डायरेक्टर बना दिया गया। वहीं, सुनवाई के दौरान आम्रपाली समूह की ओर से पेश वकील गीता लूथरा ने कहा कि निर्माण कार्य में समूह ने 15,690 करोड़ रुपये लगाए हैं। जबकि, खरीदारों से 1,157 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।