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नई दिल्ली: महंगाई काबू में रहने के सुखद संकेतों के बीच रिजर्व बैंक इस वित्तीय वर्ष में ब्याज दर में और बढ़ोतरी नहीं करने का रुख अपना सकता है। इससे इस वित्तीय वर्ष में आपको होम लोन, ऑटो लोन की ईएमआई में और इजाफा नहीं होगा। कोटक इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 के बाकी बचे महीनों में महंगाई तीन से 4.4 फीसदी के बीच रह सकती है और यह रिजर्व बैंक के लक्ष्य चार फीसदी के आसपास ही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मौद्रिक नीति समिति का ध्यान ब्याज दरों को लेकर महंगाई पर केंद्रित रहा है, जिसमें आगे नरमी रहने के आसार हैं। ऐसे में इस साल ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना बेहद कम है। गौरतलब है कि अक्तूबर की मौद्रिक समीक्षा में गवर्नर उर्जित पटेल समेत छह सदस्यीय समिति ने रुख तटस्थ से कड़ा करने के साथ ब्याज दर को यथावत रखा था और वित्तीय वर्ष के बाकी वक्त में महंगाई नरम रहने का अनुमान जताया था।

ब्याज दर इस साल दो बार बढ़ाई

आरबीआई ने लंबे समय बाद इस साल जून में नीतिगत ब्याज दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी और फिर अगस्त में भी इसमें 0.25 फीसदी इजाफा किया। इसके बाद बैंकों ने भी होम लोन, ऑटो लोन और अन्य तरह के कर्ज महंगे कर दिए। राहत रही कि अक्तूबर की मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई ने अनुमानों के विपरीत ब्याज दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की।

मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बरकरार

अर्थशास्त्रियों के अनुसार, मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है। अंदेशा है कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोतरी, महंगाई भत्ते में इजाफे से त्योहारी सीजन के दौरान उपभोग के साथ खर्च बढ़ेगा, जिससे महंगाई में भी इजाफा होगा। कच्चे तेल में उछाल, पेट्रोल-डीजल की मार से कच्चे माल की लागत बढ़ने के साथ वैश्विक स्तर पर अस्थिरता से रुपये के कमजोर रहने के कारणों से महंगाई पर बुरा असर पड़ सकता है।

मुख्य बिंदु

6.50 % है रेपो दर रखी है रिजर्व बैंक ने अभी

0.50% की वृद्धि हुई है ब्याज दर में इस साल

3.77% रही खुदरा महंगाई सितंबर में, 0.08% का मामूली इजाफा

5.13 %रही थोक महंगाई सितंबर में, अगस्त में 4.57 फीसदी थी

पेट्रोल-डीजल के दाम घटे तो राहत रहेगी

कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने से पेट्रोल-डीजल के दामों में एक हफ्ते में राहत मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कच्चे तेल में गिरावट बनी रहती है तो महंगाई से भी राहत मिलेगी।

ब्याज दर बढ़ने से मुश्किलें

ब्याज दर बढ़ने से ईएमआई के अलावा छोटे-बड़े उद्योगों के लिए भी कर्ज महंगा होता है। सरकारी प्रतिभूतियों और बॉंड पर लगातार ब्याज बढ़ने से भी बाजार खासकर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां मुश्किल में हैं।  

 

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