नई दिल्ली: अमेरिकी प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए ईरान से तेल आयात को लेकर चिंताओं के बीच भारत ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रहित में जो भी जरूरत होगा, उसे किया जाएगा। ईरान के उप राजदूत मसूद रेजवानियन राहागी ने मंगलवार को कहा था कि अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर अगर भारत ईरानी तेल के आयात में कटौती करता है तो भारत विशेष लाभ को खो देगा। राहागी के बयान पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से उद्धृत किया गया और ईरानी पक्ष ने इस संबंध में एक स्पष्टीकरण जारी किया है।
ईरानी दूतावास ने जारी एक वक्तव्य में कहा था कि वह भारत को सुरक्षित तेल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेगा। उसने कहा कि वह भारत के लिए भरोसेमंद ऊर्जा भागीदार रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत के लिए ईरान ऊर्जा और संपर्क के लिए महत्वपूर्ण भागीदार है। ईरानी दूतावास के स्पष्टीकरण में काफी चीजें साफ की गई हैं।
इसे रिपोर्ट किया गया ‘इसे गलत उद्धृत किया गया और उन्होंने सोचा कि इसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है। उन्होंने हमारे रुख को समझा है और निस्संदेह हमारा उनके साथ प्रगाढ़ संबंध है।’ उन्होंने कहा कि संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) या ईरान और अमेरिका, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और ब्रिटेन के बीच हस्ताक्षरित परमाणु करार से अमेरिका के हटने समेत विभिन्न मुद्दों पर भारत ईरान के साथ संपर्क में है।
इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत को कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। ईरान ने अप्रैल 2017 और जनवरी 2018 के बीच भारत को 1.84 करोड़ टन कच्चे तेल की आपूर्ति की थी। अमेरिका ने भारत और अन्य देशों को चार नवंबर तक ईरान से तेल आयात को शून्य पर लाने या प्रतिबंधों का सामना करने की चेतावनी दी थी।