नई दिल्ली: राज्यों के बीच आयात निर्यात को लेकर फर्जी बिलों द्वारा टैक्स चोरी रोकने के लिए जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल लागू करने का शेड्यूल तैयार कर लिया है। 16 जनवरी से ई-वे बिल सिस्टम का ट्रायल रन शुरू किया जाएगा और 1 जून से यह देशभर में लागू हो जाएगा। राज्यों के बीच होने वाले आयात-निर्यात को लेकर धडल्ले से टैक्स चोरी हो रही है।
इसी पर लगाम लगाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में ई-वे बिल का मसौदा तैयार किया गया है। मसौदे के तहत 1 फरवरी से राज्यों के बीच (अंतराज्यीय) और 1 जून से राज्य के भीतर (अंतर जिला)वस्तुओं की खरीद फरोख्त के लिए ई-वे बिल आवश्यक हो जाएगा। सरकार इसकी औपचारिक घोषणा दो दिन के अंदर कर सकती है।
ई-वे बिल के तहत 50,000 रुपए से अधिक के अमाउंट के प्रोडक्ट की राज्य या राज्य से बाहर ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी के लिए सरकार को पहले ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए बताना होगा। इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करना होगा जो 1 से 15 दिन तक मान्य होगा। यह मान्यता प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी।
जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन का ई-बिल बनेगा।
ये चीजें होगी ई-वे बिल से बाहर
ई-वे बिल से कॉन्ट्रासेप्टिव, ज्युडिशियल और नॉन ज्युडिशियल स्टैंप पेपर, न्यूजपेपर, ज्वैलरी, खादी, रॉ सिल्क, इंडियन फ्लैग, ह्युमन हेयर, काजल, दिये, चेक, म्युनसिपल वेस्ट, पूजा सामग्री, एलपीजी, किरोसिन, हीटिंग एड्स और करेंसी को ई-वे बिल से बाहर रखा गया है।
बता दें कि अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 83,346 करोड़ रुपए रहा जो बीते तीन महीने के टैक्स कलेक्शन की तुलना में कम है। सितंबर में टैक्स कलेक्शन 95,131 करोड़ रुपए हुआ था। अक्टूबर में बीते महीने की तुलना में जीएसटी रेवेन्यू 12 हजार करोड़ रुपए घटा है, जिसको लेकर सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।