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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैंकों की दुर्दशा के लिये पिछली संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुये बुधवार को कहा कि बैंकों पर दबाव डालकर चुनींदा उद्योगपतियों को कर्ज दिलाया गया जिससे बैंकों की करोड़ों रुपये की राशि कर्ज में फंस गई। उन्होंने इसे संप्रग सरकार के समय का सबसे बड़ा घोटाला बताया।

गुजरात विधानसभा के लिये अंतिम चरण के मतदान से एक दिन पहले आज यहां मोदी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संप्रग सरकार को बैंकों की दुर्दशा के लिये आड़े हाथों लिया। उन्होंने इस स्थिति के लिये फिक्की जैसे उद्योगपतियों के संगठनों के कामकाज को लेकर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) के रूप में मौजूदा सरकार के लिये सबसे बड़ी ‘‘देनदारी ’’ छोड़कर गई है।

प्रधानमंत्री आज यहां देश के शीर्ष उद्योग मंडल फिक्की की 90वीं वार्षिक आम बैठक में बोल रहे थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी उद्योग मंडल की सालाना आम बैठक में यही उनका पहला संबोधन था। उन्होंने कहा, ‘‘बैंकों पर दबाव डालकर उद्योगपतियों को पैसा दिलाया गया। इससे बैंकों की स्थिति खराब हुई।

इस पर तब फिक्की ने कोई अध्ययन किया था क्या? तब उद्योग संगठन क्या कुछ आवाज उठा रहे थे। सभी को पता था कि कुछ न कुछ गलत हो रहा है, लेकिन क्या किसी ने आवाज उठाई?’’ मोदी ने इस अवसर पर अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियां भी गिनाईं।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश के युवाओं और मौजूदा जरूरतों को ध्यान में रखकर नीतियां बना रही हैं। जबकि पिछली सरकार के समय बैंकों का करोड़ो रुपया चुनींदा उद्योगपतियों को दिलाया गया। राष्ट्रमंडल, 2जी और कोयला घोटाला हुआ। जनता की गाढ़ी कमाई लूट ली गई। इन सभी घोटालों में कहीं न कहीं बैंकों पर ही बुरा असर पड़ा। उन्होंने एनपीए को पिछली सरकार के समय का ‘ सबसे बड़ा घोटाला ’ बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने बैंकिंग उद्योग की मजबूती के लिये कदम उठाये हैं। बैंकों को नई पूंजी उपलब्ध कराई जा रही है ताकि बैंक ग्राहकों के साथ साथ देश का हित साधा जा सके।

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