नई दिल्ली: अगर आप कहीं पर नौकरी कर रहे हैं और कुछ दिन के बाद आप उसके मालिक बन जाएं तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी पवन हंस के 300 कर्मचारियों से अधिक की एक यूनियन सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में जुटी है। सरकार ने पवन हंस में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है।
सिविल एविएशन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यहां कर्मचारियों द्वारा बोली लगाने का प्रावधान है और उन्होंने कहा है कि वे एक प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो यह एक ऐतिहासिक सौदा होगा। ऑल इंडिया सिविल एविएशन एम्प्लॉइज यूनियन ने दुबई की कंपनी मार्टिन कंसल्टिंग को इस सौदे के लिए एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया है।
डिपार्टमेंट ऑ फ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (दीपम) पवन हंस में सरकार की हिस्सेदारी बेच रही है और इससे उसे 500 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। कर्मचारी प्राइवेट इक्विटी या वेंचर कैपिटल फंड के साथ गठजोड़ कर सकते हैं, जो उनकी तरफ से सरकारी की हिस्सेदारी खरीदेंगे। इसके बाद 10 प्रतिशत हिस्सेदारी उन्हें स्टॉक ऑप्शन में दी जाएगी।
इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि कर्मचारी पवन हंस में निवेश के लिए वित्तीय संस्थानों से भी बातचीत कर रहे हैं। पवन हंस में सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचूरल गैस कॉर्प की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बनी रहेगी।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बिक्री के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) जमा करने का अंतिम दिन शुक्रवार था। कर्मचारियों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की और अब इसके लिए सात दिन का और समय दिया गया है।
सरकार ने सौदा सलाहकार के लिए एसबीआई कैपिटल मार्केट को नियुक्त किया है। पवन हंस की वित्तीय स्थिति एयर इंडिया से बेहतर है।