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नई दिल्ली: साल 2017 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले रिचर्ड थेलर ने पिछले वर्ष भारत में हुई नोटबंदी का समर्थन किया था। रिचर्ड ने लेकिन कुछ ही मिनटों बाद इस बात पर भी निराशा जाहिर की थी सरकार ने 500 और 1,000 रुपए का नोट बंद करके 2,000 रुपए का नोट जारी कर दिया।

सोमवार को जब अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार का ऐलान हुआ तो कुछ ही देर बाद उनकी ट्वीट का स्क्रीन शॉट सोशल मीडिया पर शेयर किया जाने लगा और देखते ही देखते वह वायरल हो गया। रिचर्ड थेलर ने पिछले वर्ष नवंबर में ट्वीट कर नोटबंदी का समर्थन किया।

इसके बाद कई लोगों ने उस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और इन प्रतिक्रियाओं में ही उन्हें 2,000 रुपए का नोट जारी होने की जानकारी भी मिली। इस पर उन्होंने लिखा था,‘वाकई? निराशाजनक।'

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में अर्थशास्त्र और व्यावहारिक विज्ञान के प्रोफेसर थेलर ने नोटबंदी के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह इस नीति के पुराने समर्थक हैं। उन्होंने आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी से जुड़ी खबर का लिंक ट्वीट करते हुए लिखा, 'यह एक ऐसी नीति है जिसका मैं पुराना समर्थक हूं।

यह कैशलेस सिस्टम की ओर पहला कदम है और भ्रष्टाचार कम करने की दिशा में अच्छी शुरुआत है।

'गौरतलब है कि भारत से पहले 8 देश नोटबंदी कर चुके थे। इनमें नाइजीरिया, घना, ज़िम्बाम्ब्वे, नार्थ कोरिया, सोवियत यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और म्यांमार शामिल हैं। इन सभी देशों में नोटबंदी के अलग-अलग कारण रहे। ऑस्ट्रेलिया में कागज़ के नोट को प्लास्टिक के नोट से बदला गया था। लेकिन सभी देशों का लक्ष्य ब्लैक मनी पर काबू पाना था।

लिहाज़ा इन देशों में बड़े नोट बंद किये गए, किसी भी देश ने बदले में बंद किये गए नोट से बड़ा नोट जारी नहीं किया। लेकिन नोटबंदी करने वाली दुनिया की अकेली और पहली मोदी सरकार है, जिसने 500 और 1000 के नोट बंद करके चलन में 2000 का नोट दिया। 

यही वजह थी कि नोटबंदी के सबसे बड़े पैरोकार अर्थशास्त्री को मोदी सरकार की नोटबंदी को निराशाजनक करार देना पड़ा था। एक साल बाद अब जब सरकार ने यह मान लिया कि बंद की गई मुद्रा का 99 फीसदी बैंक में लौट चुका है। लिहाजा कालेधन पर अंकुश की बात निराधार हो गई।

 

नोटबंदी के एक साल बाद सरकार 200 का नया नोट भी बाजार में लाई है। सरकार के इस फैसले की शुरू से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है।

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