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नई दिल्ली: देश का प्रति व्यक्ति कर्ज का आंकड़ा मार्च, 2016 में 9% बढ़कर 53,796 रुपये पर पहुंच गया। प्रति व्यक्ति कर्ज की गणना केंद्र सरकार के ऋण के आधार पर की जाती है। उंची वृद्धि हासिल करने के लिए विकास खर्च की वजह से प्रति व्यक्ति ऋण बढ़ा है। मार्च, 2015 के अंत तक प्रति व्यक्ति कर्ज 49,270 रुपये था। मार्च, 2010 के अंत तक यह 30,171 रुपये था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। वित्त वर्ष 2015-16 में ऋण पर दिया गया ब्याज 4,41,659 करोड़ रुपये रहा। जेटली ने कहा कि प्रति व्यक्ति कर्ज में इजाफा मुख्य रूप से विकास के लिए अधिक खर्च की वजह से हुआ है। सरकार के प्रति व्यक्ति कर्ज के बोझ में विदेशी ऋण, आंतरिक ऋण तथा अन्य देनदारियां शामिल होती हैं।

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