नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह ने निदेशक मंडल में मचे घमासान के बीच समूह की धारक कंपनी टाटा संस ने आज आरोप लगाया कि साइरस मिस्त्री ने चेयरमन बनने के लिए चयन समिति को ‘उंचे उंचे वादों से भ्रमित’ किया तथा अपने अधिकारों का इस्तेमाल प्रबंधन ढांचे को कमजोर करने के लिए किया। समूह ने आज शेयरधारकों के नाम अपील में ‘कुछ महत्वपूर्ण तथ्य’ प्रस्तुत किए हैं जिनके कारण टाटा संस का मिस्त्री में ‘भरोसा टूटा’ और उन्हें समूह की इस धारक कंपनी के चेयरमैन पद से हटाया गया। यह अपील समूह की प्रमुख कारोबारी कंपनियों की निदेशक मंडलों की इसी महीने होने वाली बैठकों के कुछ दिन पहले जारी की गई है। इन बैठकों में मिस्त्री को उनके निदेशक पद से हटाए जाने के प्रस्ताव पर फैसला होना है। टाटा संस ने कहा है कि 2011 में रतन टाटा के उत्तराधिकारी के चयन के लिए बनी समिति को मिस्त्री ने ‘भ्रमित’ किया। उन्होंने उस समय टाटा समूह के बारे में ‘उंची उंची योजनाएं पेश की थीं और इससे बढ़कर कहा था कि वे समूह को विस्तृत प्रबंधकीय ढांचा प्रस्तुत करेंगे क्योंकि इसका कारोबार विविधतापूर्ण है।’ उन्होंने एक ऐसे प्रबंधन ढांचे की योजना दिखाई थी जिसमें अधिकारों व दायित्व विकेंद्रीकरण होगा। आज जारी अपील में कहा गया है,‘ मिस्त्री के इन बयानों व प्रतिबद्धताओं ने मिस्त्री को चेयरमैन पद के लिए चुनने के फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
लेकिन चार साल के इंतजार के बाद भी प्रबंधकीय ढांचे व योजनाओं को क्रियान्वित नहीं किया गया। स्पष्ट रूप से हमारी राय है कि चयन समिति ने मिस्त्री का चयन ‘भ्रम’ में किया। टाटा संस ने आरोप लगाया है कि मिस्त्री ने अपने परिवार की फर्म शापूरजी पलोंजी एंड कंपनी से खुद को दूर रखने के वादे को भी पूरा न कर ‘अनुचित व्यवहार’ किया और इससे ‘भरोसा टूटने की भावना उत्पन्न हुई’ साथ ही टाटा संस में ‘कंपनी संचालन के उच्च सिद्धांतों के लिए बड़ी चुनौती पैदा हुई।’ मिस्त्री ने अपने वादों से जिस तरह से मुंह मोड़ा उससे टाटा समूह को हितों के टकराव से मुक्त होकर नेतृत्व प्रदान करने की मिस्त्री की क्षमता को लेकर चिंताएं पैदा हुइ’। उन्होंने निस्वार्थ कंपनी संचालन के उच्च मानकों को जोखिम में डाला जबकि ये मानक समूह के मुख्य दर्शन के केंद्र में हैं। टाटा संस ने आरोप लगाया है कि मिस्त्री ने बीते 3-4 साल में सारी शक्तियां व अधिकारी अपने हाथों में कंेद्रित कर लिया था। उन्होंने बड़े तरीके से समूह की कंपनियों में टाटा संस के प्रतिनिधित्व को कमजोर किया। उन्होंने आजादी व भरोसे का नाजायज फायदा उठाकर समूह की कंपनियों के प्रबंधकीय ढांचे को कमजोर किया और एक अमानती के कर्तव्य के विपरीत आचरण किया। अपील में यह भी कहा गया कि टाटा संस व उसके निदेशक मंडल में समूह की कंपनियों के वित्तीय परिणामों को लेकर भी चिंताएं थीं क्योंकि टीसीएस को जोड़कर अन्य कंपनियों से धारक कंपनी को मिलने वाली लाभांश की आय लगातार कम हो रही थी जबकि कर्मचारी खर्च दोगुने से अधिक बढ़ गया था। इसके अनुसार,‘ यदि टीसीएस का लाभांश न होता तथा इसमें घाटा ही होता। मिस्त्री ने इन मुद्दों व टीसीएस पर टाटा संस की बढ़ती निर्भरता पर ध्यान नहीं दिया। निदेशक मंडल इस स्थिति को और बर्दाश्त नहीं कर सकता था क्योंकि इससे टाटा संस की वित्तीय वहनीयता के लिए जोखिम उत्पन्न होने का अंदेशा था।’ पत्र में कहा गया है कि मिस्त्री ने अपने मात्र चार साल के कार्य के आधार पर ही 149 साल पुराने टाटा समूह को कंपनी संचालन का पाठ पढाना शुरू कर दिया था। इसमें कहा गया है मिस्त्री ने टाटा समूह के लंबे समय से स्थापित निदेशन के उच्च सिद्धांतों को लगातार छिन्न भिन्न किया और टाटा समूह की कारोबार कंपनियों के निदेशक मंडल में केवल खुद को ही टाटा संस का प्रतिनिधि बनाया। अपील में कहा गया है कि जेआरडी टाटा का 50 साल का और उसके बाद रतन टाटा का 20 साल का नेतृत्व कंपनी संचालन का एक आदर्श नमूना है। इस अपील में इस बात को दोहराया गया है कि सूमह की कंपनी संचालन की व्यवस्था के तहत मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद समूह की सभी कंपनियों के निदेशक पदों से तुरंत हट जाना चाहिए था। बयान में सभी सभी छोटे बड़े शेयरधारकों से मिस्त्री से हटाने के प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की गई है। टाटा संस ने ‘विरासत में मिली कमजोरियों’ के मिस्त्री के बयान के बारे में कहा है कि जब उन्होंने कंपनी का चेयरमैन पद संभालने का फैसला किया तो उन मुद्दों के समाधान कर स्थिति बदलने की जिम्मेदारी उनकी बनती थी। इसके अनुसार टाटा स्टील व टाटा मोटर्स में बहुत सी गंभीर चुनौतियां आई हैं इन चुनौतियों को मजबूत प्रबंधकीय कार्रवाई तथा टाटा संस की ओर से वित्तीय मदद के माध्यम से निपटाया जा सकता है।टाटा संस ने कहा है कि मिस्त्री कारोबार की चुनौतियों का परिपक्वता के साथ मुकाबला करने में नाकाम रहे। टाटा संस का कहना है कि सारे प्रकरण को सार्वजनिक करने के लिए मिस्त्री ही जिम्मेदार हैं जिन्होंने इसको लेकर मीडिया में खुला अभियान चलाया और गैर जिम्मेदाराना व असत्य आरोप लगाए। बयान में कहा गया है कि मिस्त्री के बयानों से बहुत नुकसान हुआ और कंपनियों के शेयरधारकों को बड़ी वित्तीय क्षति पहुंची। इन सबके लिए मिस्त्री ही एकमात्र जिम्मेदार हैं जिनके बयानों से इन कंपनियों के भीतर अस्थिरता व भ्रम उत्पन्न हुआ। गौरतलब है कि टाटा संस ने गत 24 अक्तूबर को मिस्त्री को अप्रत्याशित रूप से चेयरमैन पद से हटाने की घोषणा की और रतन टाटा को अंतरिम चेयमरमैन बनाया गया है। टाटा संस ने नये चेयरमैन की तलाश के लिए एक समिति का भी गठन किया हुआ है। मिस्त्री को समूह के चेयरमैन पद से बेदखल किए जाने के बाद से टाटा संस व मिस्त्री खेमे के बीच बराबर आरोप प्रत्यारोप जारी हैं।