नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाए गए रोक का जी 7 देशों ने आलोचना की है। सात औद्योगीकृत देशों के समूह के कृषि मंत्रियों ने शनिवार को भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम का विरोध किया है। जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने स्टटगार्ट में मीडिया से कहा है कि अगर हर कोई निर्यात प्रतिबंध या बाजार बंद करना शुरू कर देता है, तो इससे संकट और अधिक बढ़ जाएगा।
गौरतलब है कि भारत ने यूक्रेन में युद्ध के कारण आपूर्ति की कमी से प्रभावित देशों को झटका देते हुए, शनिवार को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है। बताते चलें कि भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। भारत की तरफ से कहा गया है कि कम गेहूं उत्पादन और युद्ध के हालात को देखते हुए वो अपनी "खाद्य सुरक्षा" को लेकर चिंतित है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को एक अधिसूचना में कहा, 'गेहूं की निर्यात नीति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है।' हालांकि महानिदेशालय ने कहा कि इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए निर्यात की खेप की अनुमति रहेगी।
बताते चलें कि युद्ध से पहले, यूक्रेन अपने बंदरगाहों के माध्यम से प्रति माह 4.5 मिलियन टन कृषि उपज का निर्यात करता रहा था। जिसमें गेहूं 12 प्रतिशत था। लेकिन ओडेसा, कोर्नोमोर्स्क और अन्य बंदरगाहों को रूसी युद्धपोतों द्वारा दुनिया से काट दिए जाने के बाद, आपूर्ति केवल सड़कमार्ग से संभव है। ऐसे में यूक्रेन का निर्यात काफी तेजी से कम हुआ है। संकट के समय में जी7 औद्योगिक देशों के मंत्रियों ने दुनिया भर के देशों से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई नहीं करने का आग्रह किया है, ताकि बाजारों पर और दबाव न बढ़ें। जर्मनी के कृषि मंत्री ने कहा कि हम भारत से जी20 सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी को समझने की अपील करते हैं। बताते चलें कि जून में जर्मनी में जी7 शिखर सम्मेलन में भी इस मुद्दे के उठने की संभावना है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है।