नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने यूरोप दौरे के पहले चरण में जर्मनी पहुंचे, जहां उन्होंने अपना महत्वपूर्ण संबोधन दिया। यूक्रेन पर रूस के जारी हमले के बीच पीएम मोदी ने कहा कि भारत यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर बेहद चिंतित है और शांति के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि शांति बेहद नाजुक हालत में है और बातचीत ही इस संकट को हल करने का एकमात्र उपाय है। पीएम मोदी ने कहा, भारत जर्मनी कई मूल्य साझा करते हैं। हम तीसरे देश में साझा परियोजनों पर काम कर रहे हैं। जर्मनी के बाद अपनी यात्रा के दौरान मोदी डेनमार्क और फ्रांस भी जायेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज से मुलाकात की, जिसमें दोनों नेताओं ने कारोबार को गति देने और सांस्कृतिक सम्पर्कों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा की तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रम पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी यूरोप के तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में सोमवार को सुबह जर्मनी पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी की यूरोप यात्रा यूक्रेन संकट के बीच हो रही है जिसको लेकर रूस के खिलाफ लगभग पूरा यूरोप एकजुट है।
बर्लिन पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने चांसलर कार्यालय (चांसलरी) के प्रांगण में पारंपरिक सलामी गारद का निरीक्षण किया। चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने यहां प्रधानमंत्री मोदी की आगवानी की। शिष्टमंडल स्तर की वार्ता से पहले दोनों नेताओं ने चाय पर चर्चा की। दोनों नेताओं के बीच छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) कार्यक्रम से पहले यह चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘भारत-जर्मनी सहयोग का विस्तार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने बर्लिन में मुलाकात की।'' प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी चांसलर शॉल्ज से यह पहली मुलाकात है, जिन्होंने दिसंबर 2021 में पदभार ग्रहण किया है। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच सम्पूर्ण सामरिक गठजोड़ के तहत द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े महत्वपूर्ण क्षेत्रों तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रम पर चर्चा हुई।
गौरतलब है कि भारत उन करीब 50 देशों में शामिल था जो अप्रैल महीने में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने के प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा था। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच, जनवरी के बाद से भारत संयुक्त राष्ट्र में इस मामले पर प्रक्रियागत मतदान के दौरान आठ मौके पर अनुपस्थित रहा।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर ओलाफ शॉल्ज के बीच बर्लिन में वार्ता जारी। दोनों नेताओं ने भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा की जिसमें कारोबार को गति देना, सांस्कृतिक सम्पर्क आदि शामिल है। ''दोनों नेताओं के बीच सामरिक, क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान प्रदान होने की उम्मीद है।
इससे पहले दोनों नेताओं की पिछले वर्ष जी20 बैठक में मुलाकात हुई थी, तब शॉल्ज वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर ओलाफ शॉल्ज के बीच द्विपक्षीय वार्ता शुरू। दिसंबर 2021 में पदभार ग्रहण करने के बाद चांसलर ओलाफ शॉल्ज की यह पहली ऐसी बैठक है। हमारे सामरिक गठजोड़ को लेकर उच्च स्तर का आदान प्रदान जारी है।''
शिष्टमंडल स्तर की वार्ता में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी हिस्सा लिया। बाद में मोदी और ओलाफ ने छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) कार्यक्रम की सह अध्यक्षता की। आईजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने दोनों देशों के मंत्रियों के साथ बैठक के चित्र के साथ अपने ट्वीट में कहा, ‘‘भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श हमारी मित्रता के विशेष स्वरूप को प्रदर्शित करता है। बर्लिन में प्रधानमंत्री मोदी, चांसलर शॉल्ज तथा भारत एवं जर्मनी के शीर्ष मंत्रियों ने मुलाकात की।'' वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यह अनोखा द्विवार्षिक वार्ता तंत्र है जिसमें दोनों देशों की सरकारों को द्विपक्षीय मामलों के विविध आयामों पर समन्वय का मौका मिलता है।
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘वृद्धि एवं लचीलापन के लिये, आवागमन एवं समृद्धि के लिये, हरित एवं टिकाऊ भविष्य तथा मुक्त एवं शांतिपूर्ण हिन्द प्रशांत के लिये। छठा भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श जारी। ''इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी उपस्थति थे।
प्रधानमंत्री मोदी की यह जर्मनी की पांचवी यात्रा है। इससे पहले वह अप्रैल 2018, जुलाई 2017, मई 2017 और अप्रैल 2015 जर्मनी गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोमवार को जर्मनी की राजधानी पहुंचने पर भारतीय समुदाय के सदस्यों ने उनका भव्य स्वागत किया और बर्लिन के मशहूर ब्रैंडेनबर्ग गेट पर भारत के सांस्कृतिक रंग तथा विविधता का प्रदर्शन हुआ।
प्रधानमंत्री ने यहां पहुंचने के बाद ट्वीट किया, 'बर्लिन में अल सुबह होने के बाद भी भारतीय समुदाय के कई लोग आए। उनके साथ जुड़ना अद्भुत रहा। भारत को अपने प्रवासी लोगों की उपलब्धियों पर गर्व है।' यूरोप की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा था कि बर्लिन की उनकी यात्रा चांसलर शॉल्ज से बातचीत का अवसर प्रदान करेगी। जिनसे उन्होंने पिछले वर्ष जी20 में मुलाकात की थी, तब वह वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) की सह अध्यक्षता करेंगे, यह एक विशिष्ट कार्यक्रम है जिसे भारत केवल जर्मनी के साथ कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं इस आईजीसी को जर्मनी की नयी सरकार के साथ बातचीत की पहल के तौर पर देखता हूं, जो सरकार के गठन के छह माह के भीतर हो रही है। इससे मध्यम और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी।'' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2021 में भारत और जर्मनी ने राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया और दोनों देश 2000 से सामरिक साझेदार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं दोनों देशों के बीच रणनीतिक, क्षेत्रीय और वैश्विक विकास से जुड़े मुद्दों पर चांसलर शॉल्ज के साथ बातचीत करने को लेकर उत्सुक हूं।'' दोनों नेता एक उच्च स्तरीय बैठक को भी संबोधित करेंगे और दोनों देशों की शीर्ष कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ भी बातचीत करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और जर्मनी के बीच दीर्घकालिक वाणिज्यिक संबंध हमारी रणनीतिक साझेदारी का एक स्तंभ हैं. इसका लक्ष्य हमारे उद्योगों के बीच समन्वयन में नयी ऊर्जा पैदा करना है जिससे हमें दोनों देशों के बीच कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार में मदद मिलेगी।'' विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह ‘राउंड टेबल' दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगी।
प्रधानमंत्री का जर्मनी में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करने का कार्यक्रम है.विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा भारत जर्मनी के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने का भविष्य का खाका तैयार करेगी। गौरतलब है कि बर्लिन के बाद प्रधानमंत्री तीन मई को डेनमार्क जाएंगे जहां वह अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। वहां वह द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय के लिये फ्रांस में रुकेंगे, जहां वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे।