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इस्लामाबाद: विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री सीनेटर इसहाक डार के साथ फोन पर बातचीत के दौरान भारत-पाक जल विवाद पर चर्चा की। इससे कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान ने विश्व बैंक से इस मुद्दे पर ‘उसकी जिम्मेदारियां निभाने’ के लिए कहा था। डॉन अखबार ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा कि फोन पर बातचीत कल की गई। डार ने दो पनबिजली संयंत्रों -किशनगंगा और रटले- को लेकर चल रहे विवाद के संदर्भ में 23 दिसंबर को किम को एक पत्र लिखा था। भारत इन दो संयंत्रों का निर्माण सिंधु नदी प्रणाली पर कर रहा है। डार ने अपने पत्र में लिखा कि मध्यस्थता में देरी से सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के हितों और अधिकारों पर गंभीर असर पड़ेगा। पत्र में कहा गया कि पाकिस्तान मध्यस्थता अदालत का अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पूर्व में किए गए अपने अनुरोध को वापस नहीं ले रहा। चूंकि इस प्रक्रिया में पहले ही बहुत देरी हो चुकी है, इसलिए इस्लामाबाद चाहता है कि विश्व बैंक जल्दी से जल्दी अध्यक्ष की नियुक्ति करे। पाकिस्तान का मानना है कि चूंकि भारत दोनों विवादित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहा है, ऐसे में अगर और अधिक देरी की जाती है तो पाकिस्तान के हितों को नुकसान पहुंचेगा और इन्हें उलटना संभव नहीं होगा। वर्ष 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु नदी जल संधि के तहत सिंधु नदी घाटी की नदियों को दोनों देशों के बीच बांटा गया।

भारत को तीन पूर्वी नदियों - व्यास, रावी और सतलुज पर नियंत्रण मिला जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियां - सिंधु, चेनाब और झेलम मिलीं। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी जल विवाद पैदा होने पर विश्व बैंक को मध्यस्थता का अधिकार देती है। पिछले सप्ताह किम ने भारत और पाकिस्तान के वित्तमंत्रियों को पत्र भेजकर उन्हें जानकारी दी थी कि उन्होंने (किम ने) बैंक की मध्यस्थता ‘रोकने’ का फैसला किया है। उन्होंने दोनों पड़ोसियों से अपील की कि वे जनवरी के अंत तक तय करें कि वे इस विवाद को कैसे सुलझाना चाहते हैं। जल विवाद पर तनाव नवंबर में उस समय बढ़ गया था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकने की बात कही थी। पाकिस्तान ने विश्व बैंक को औपचारिक अनुरोध में कहा कि यदि कोई पक्ष कहता है कि विवाद बातचीत से या मध्यस्थता से नहीं सुलझने वाला तो मध्यस्थता अदालत का गठन किसी भी पक्ष के अनुरोध पर किया जा सकता है। यदि एक पक्ष कहता है कि दूसरी सरकार वार्ता में देरी कर रही है तो बैंक का भी कर्तव्य होगा कि वह अदालत की स्थापना करे। पाकिस्तान ने विश्व बैंक को सूचित किया कि वह पहले ही इस विवाद को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए सुलझाने के लिए भारत के साथ संवाद की कोशिश कर चुका है और अब अपना पक्ष मध्यस्थता अदालत तक ले जाने का विकल्प चुन रहा है।

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