बीजिंग: चीन ने अपने स्टेल्थ लड़ाकू विमान के एक तात्कालिक संस्करण का परीक्षण किया है और उसकी योजना उसे अमेरिकी विमान की आधी कीमत पर बेचने की है जिससे उच्च प्रौद्योगिकी विमान पर पश्चिम के एकाधिकार को तोड़ा जा सके। इसका भारत पर रणनीतिक प्रभाव होगा क्योंकि पाकिस्तान इसे हासिल करने में पहले ही रूचि दिखा चुका है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘चाइना डेली’ ने आज बताया कि चीन की पांचवीं पीढ़ी वाला एफसी.31 गिरफाल्कन स्टेल्थ लड़ाकू विमान के एक तात्कालिक संस्करण ने लिओनिंग प्रांत की राजधानी शेनियांग में गत सप्ताह पहली बार उड़ान भरी। उसने कहा कि पूर्व में जे.31 के नाम से जाने वाला और राडार की नजर से बचने वाला दो इंजन का यह विमान शेनयांग एयरक्राफ्ट कोपरेरेशन द्वारा अभी भी विकास के चरण में है। शेनयांग एयरक्राफ्ट कोपरेरेशन ‘एविएशन इंडस्ट्री कापरेरेशन आफ चाइना’ :एवीआईसी: का हिस्सा है। चीन का स्टेल्थ विमान का भारत के लिए रणनीतिक महत्व है क्योंकि चीन के अलावा पाकिस्तान भी इस लड़ाकू विमान को हासिल करने में पहले ही रूचि दिखा चुका है। चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान जेएफ.17 लड़ाकू विमान का निर्माण कर रहा है। भारत ने अभी तक स्टेल्थ विमान को अपने शस्त्रागार में शामिल नहीं किया है। एवीआईसी ने नवम्बर 2015 में संयुक्त अरब अमीरात में 14वें दुबई एयरशो में एफसी.31 के एक बड़े मॉडल का प्रदर्शन किया था। एवीआईसी ने कहा कि यह विमान आठ टन हथियार ले जा सकता है। विमान के आंतरिक हथियार बे में छह मिसाइलें और उसके पंख के नीचे छह मिसाइलें लगायी जा सकती हैं।
समाचार पत्र ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि एफसी.31 के दूसरे प्रोटोटाइप की पहली प्रायोगिक उड़ान शुक्रवार को शेनयांग एयरक्राफ्ट कापरेरेशन से हुई।इसमें यह भी कहा गया कि पांचवीं पीढ़ी के यह लड़ाकू विमान उपलब्ध विमानों में सबसे उन्नत हैं। पीएलए वायुसेना के एक विमान विशेषज्ञ फू कियानशाओ ने कहा कि एवीआईसी एफसी.31 का इस्तेमाल देश और विदेश में बाजार में हिस्सेदारी पर कब्जा जमाने के लिए करना चाहती है लेकिन कंपनी विदेशी खरीददारों को आकषिर्त करने पर काफी जोर दे रही है। एवीआईसी के उप महाप्रबंधक ली यूहाई ने कहा कि एवीआईसी की योजना एफसी.31 का इस्तेमाल पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान पर ‘कुछ देशों के एकाधिकार पर रोक’ लगाने के लिए करने की है। यह विमान अपने किस्म के किसी अन्य विमान से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम है।