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वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान के हालात को अब भी मुश्किलों से घिरा हुआ बताते हुए और आतंकियों, खासतौर पर आईएसआईएल की ओर से मौजूद खतरे को रेखांकित करते हुए कहा है कि जब कार्रवाई करना जरूरी हो, तब अमेरिका को कदम उठाने से कभी झिझकना नहीं चाहिए।’ ओबामा ने आतंकवाद से निपटने के प्रति अपने प्रशासन के रूख पर फ्लोरिडा के टंपा में कल अपने भाषण में कहा, ‘मेरा मानना है कि जब जरूरी हो, तब हमें अपने लोगों पर मंडराने वाले खतरों के खिलाफ कार्रवाई करने से झिझकना नहीं चाहिए, फिर चाहे यह कार्रवाई एकपक्षीय ही क्यों न करनी पड़े।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने इस बात पर भी जोर दिया है कि हमारी सेना को दुनिया के उस पार देशों के निर्माण के लिए कहना या उनके अंदरूनी झगड़ों को सुलझाने के लिए कहना नासमझी है और ऐसा करना चिरस्थायी नहीं है। खासतौर पर उन स्थानों पर, जहां हमारे बल आतंकियों और उग्रवादियों के लिए एक चुंबक बन जाते हैं।’ ओबामा ने कहा, ‘इसके बजाय, मेरा मानना यह रहा है कि यदि हम अलकायदा और आईएसआईएल जैसे आतंकी तंत्रों को नष्ट करने पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं तो हमें अपने सहयोगियों से कहना चाहिए कि वे लड़ाई में अपना योगदान दें।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अपने स्थानीय सहयोगियों को मजबूत करना चाहिए, जो हमें दीर्घकालिक सुरक्षा मुहैया करवा सकते हैं।’

अपनी आतंकवाद रोधी सफल नीतियों को रेखांकित करते हुए ओबामा ने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के भीतर से आने वाले दिशानिर्देशों के आधार पर रची जाने वाली साजिशों को लगातार विफल किया गया। उन्होंने कहा, ‘इसके नेतृत्व को नुकसान पहुंचाया गया है। दर्जनों आतंकी नेता मारे गए हैं। ओसामा बिन लादेन मारा गया है।’ उन्होंने कहा, ‘और मुख्य बात यह है कि आतंकवाद से निपटने के लिए हमने ऐसी क्षमता विकसित की है, जो अमेरिका पर खतरा पैदा कर सकने वाले किसी भी दक्षिण एशियाई आतंकी तंत्र के खिलाफ दबाव को बनाए रख सकती है। ऐसा हमारे सैन्यकर्मियों के शानदार काम के कारण हुआ।’ ओबामा ने कहा कि तालिबान के खिलाफ प्रमुख भूमिका में रहने के बजाय अमेरिकी अब 3.2 लाख अफगान सुरक्षा बलों को सहयोग दे रहे हैं। ये सुरक्षाबल अपने समुदायों की सुरक्षा कर रहे हैं और आतंकवाद से निपटने के हमारे प्रयासों में मदद दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं एक खूबसूरत तस्वीर पेश नहीं करना चाहता। अफगानिस्तान में स्थिति अभी भी मुश्किलों से भरी है। 30 साल से भी ज्यादा समय से युद्ध अफगानिस्तान में जिंदगी का हिस्सा रहा है और अमेरिका उस देश में तालिबान को खत्म नहीं कर सकता।’ ओबामा ने कहा, ‘लेकिन हम यह कर सकते हैं कि अलकायदा को सुरक्षित शरणस्थली न मिलने दी जाए और इसके लिए हम उन अफगान लोगों को सहयोग दे सकते हैं, जो बेहतर भविष्य चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर आतंकी खतरा कभी दक्षिण एशिया या अफगानिस्तान या पाकिस्तान तक सीमित नहीं था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अलकायदा को अफगानिस्तान और पाकिस्तान में नुकसान पहुंचा है लेकिन पश्चिम एशिया और उत्तर अफ्रीका के अन्य हिस्सों में आतंकवादियों के कारण उपजने वाले खतरे बढ़ गए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सबसे खतरनाक तो यह है कि हमने इराक में अलकायदा के उत्तराधिकारी आईएसआईएल का उदय होते देखा। यह आतंकी तंत्र और उग्रवाद दोनों की ही तरह लड़ता है।’

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