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जिनेवा/लंदन: संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था ने आज फैसला सुनाया कि विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को रिहा किया जाना चाहिए। संस्था ने ब्रिटेन और स्वीडन से यह भी कहा कि वे पिछले पांच साल से असांज को ‘मनमाने तरीके से हिरासत में रखे जाने’ पर उन्हें मुआवजा दें। मनमानी हिरासत संबंधी संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की एक विशेषज्ञ समिति के मौजूदा अध्यक्ष सियोंग-फिल होंग ने कहा, ‘मनमानी हिरासत संबंधी कार्य समूह का मानना है कि जूलियन असांज को जिन विभिन्न तरीकों से आजादी से वंचित रखा गया है, वह मनमानी हिरासत के बराबर है।’ होंग ने कहा, ‘कार्य समूह का यह भी मानना है कि असांज की मनमानी हिरासत खत्म होनी चाहिए, उनकी शारीरिक गरिमा और आवाजाही की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए और उन्हें मुआवजा पाने का हकदार होना चाहिए।’ बहरहाल, स्वीडन और ब्रिटेन दोनों ने इस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि इससे ‘कुछ नहीं बदलने वाला।’

गौरतलब है कि इस कार्य समूह का फैसला बाध्यकारी नहीं होता। साल 2006 में विकीलीक्स की स्थापना करने वाले 44 साल के असांज ने अफगानिस्तान और इराक में हुए युद्ध से जुड़ी 500000 खुफिया अमेरिकी फाइलें और 2,50,000 राजनयिक केबल जारी किए थे जिससे अमेरिका सरकार आगबबूला हो गई थी। ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांज प्रत्यर्पित कर स्वीडन भेजे जाने से बचने के लिए मध्य लंदन स्थित इक्वाडोर के दूतावास में 2012 से ही रह रहे हैं। स्वीडन में असांज के खिलाफ बलात्कार के एक मामले में जांच चल रही है। असांज को इक्वाडोर ने राजनीतिक शरण दे रखी है। लंदन स्थित इक्वाडोर के दूतावास में असांज एक छोटे से कमरे में रहते हैं और उन्होंने अपनी मौजूदा स्थिति की तुलना अंतरिक्ष स्टेशन में रहने की स्थिति से की है।

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