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गुवाहाटी: भाजपा की पहली चुनावी जीत से तरूण गोगोई नीत कांग्रेस सरकार के 15 साल के शासन का खत्म होना, हिन्दू बांग्लादेशियों को नागरिकता देने के प्रस्तावित विधेयक का विरोध और नौकरी के लिए नकदी घोटाले में असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) के प्रमुख की गिरफ्तारी वर्ष 2016 में असम की बड़ी घटनाओं में रही। राज्य में हिंसा की कई घटनाएं भी हुईं। अगस्त में कोकराझार में एक बाजार में एनडीएफबी उग्रवादियों के हमले में 14 लोगों की मौत हो गई जबकि तिनसुकिया जिले के पेनगेरी में उल्फा एक उग्रवादियों के हमले में सेना के तीन जवान शहीद हो गये। राज्य में एक सींग वाले गेंडों को मारने की घटनाएं जारी रहीं और शिकारियों ने इस प्रकार के 16 जीवों को मार डाला। उधर, मानव हाथी संघर्ष चिंताजनक स्तर तक पहुंच गया और काजीरंगा एवं मानस राष्ट्रीय उद्यानों से अतिक्रमणकारियों को हटाने के अभियान के बावजूद इस साल करीब 20 हाथी मारे गये। भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव अग्निपरीक्षा थे जिसने पूर्वोत्तर में खाता खोलने के लिए आक्रामक अभियान चलाया तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा पार्टी प्रमुख अमित शाह ने अभियान का नेतृत्व किया। भाजपा और इसके सहयोगी दलों ने अप्रैल में दो चरणों में हुए चुनावों में 88 सीटें जीतीं तथा कांग्रेस ने 122 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए केवल 26 पर जीत हासिल की। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में भाजपा ने 89 में से 60 सीटें जीतीं तथा इसके सहयोगी दलों अगप ने 14, बीपीएफ ने 12 तथा रभा एवं टीवा आइक्या मंचों ने एक एक सीट हासिल की।

मुख्यमंत्री सोनोवाल तथा इसके 10 सदस्यीय कैबिनेट ने भव्य सार्वजनिक कार्यक्रम में पद की शपथ ली और इस समारोह में मोदी, शाह, लालकृष्ण आडवाणी तथा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री सहित अन्य शामिल हुए। भाजपा ने सोनोवाल के इस्तीफे से खाली हुई लोकसभा सीट तथा बैथालांगसो विधानसभा सीट के उपचुनावांे में भी जीत दर्ज की। हालांकि नई सरकार को सत्ता में आते ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा और पहले ही महीने में राज्य के कुछ तेल क्षेत्रों के निजीकरण के केन्द्र के फैसले के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि बांग्लादेश के हिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला विधेयक पेश होने के बाद विवाद पैदा हो गया। वित्त, शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री हेमंत विश्वा शर्मा हिन्दू नागरिकता के मुद्दे के सबसे मुखर समर्थक रहे। भाजपा राज्य नेताओं के एक धड़े ने इस मुद्दे पर आपत्ति जताई। उधर, एपीएससी के प्रमुख राकेश पॉल तथा चार अन्य की गिरफ्तारी से नौकरी के लिए नकदी घोटाला सामने आ गया। राकेश को बाद में पद से हटा दिया गया। इस मुद्दे पर सत्तारूढ भाजपा ने पूर्व कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाए जबकि कांग्रेस ने आरोपों से किनारा किया।

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