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नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ओडिशा में हुए सीशोर चिटफंड घोटाले में मंगलवार को सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक प्रभात बिस्वाल को गिरफ्तार कर लिया। बिस्वाल को सोमवार देर रात उनके कटक स्थित आवास से iगिरफ्तार किया गया और मंगलवार सुबह उनकी गिरफ्तारी की घोषणा की गई।

सूत्रों ने बताया कि इससे पहले सीशोर समूह के प्रमुख प्रशांत दास के साथ भूमि सौदे के मामले में कटक-चौद्वार के बीजद विधायक से चार बार पूछताछ की गई थी। सीबीआई ने इससे पहले, उनकी पत्नी लक्ष्मीबिलासिनी बिस्वाल से भी जयपुर बेनापुर भूमि घोटाले में शामिल होने को लेकर पूछताछ की थी।

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि उन लोगों ने सीशोर समूह को अच्छी-खासी रकम में एक जमीन बेची थी और अवैध लेन-देन के ब्यौरे के बारे में उचित जवाब नहीं दे पाए थे। सूत्रों ने बताया कि दंपति जमीन सौदे की बिक्री के दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए।

सीशोर के सीएमडी प्रशांत दास ने अप्रैल, 2011 में 25 लाख में हुए जमीन सौदे का भुगतान चेक से किया था, बकाया धनराशि पंजीकरण के बाद भुगतान की जानी थी। दास ने बाद में जमीन का सौदा रद्द कर दिया और अपने पैसे वापस मांगे। प्रभात त्रिपाठी के बाद गिरफ्तार होने वाले बिस्वाल बीजद के दूसरे विधायक हैं. त्रिपाठी को जमानत मिली हुई है। चिटफंड घोटाले में संलिप्तता के कारण बीजद सांसद रामचंद्र हंसदा को भी जेल हुई थी।

सीशोर समूह ओडिशा की उन 44 पोंजी कंपनियों में से एक है, जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई की जांच के दायरे में आई थी। सीबीआई 500 करोड़ रुपये के सीशोर चिटफंड घोटाले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल कर चुकी है। इस बीच सत्तारूढ़ पार्टी ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक हथकंडा बताया है।

बीजद नेता सुभाष सिंह ने कहा, "केंद्र सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर रही है। यह बदला लेने की राजनीति है। केंद्र ने तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी, राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव के खिलाफ सीबीआई का इस्तेमाल किया। अब यह बीजद को निशाना बना रहा है।" उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि इस चिटफंड घोटाले की जांच कब तक चलेगी? अब पांच साल से ज्यादा हो चुके हैं। केंद्र सरकार के गलत इरादों का खुलासा हो चुका है।

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