प्रयागराज: कासगंज में नाबालिग बच्ची के साथ हुई घटना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने रेप के प्रयास और अपराध की तैयारी के बीच के अंतर को सही तरीके से समझने की जरूरत बताते हुए कहा है कि 'पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पजामे का नाड़ा तोड़ना, उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप के प्रयास के अंतर्गत नहीं आता है। यह गंभीर यौन हमला है।' हाई कोर्ट ने निचली अदालत से जारी सम्मन आदेश को संशोधित करते हुए निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ संशोधित धाराओं के तहत नया सम्मन आदेश जारी करें।
बताया जा रहा कि नवंबर 2021 में कासगंज के पटियाली थानाक्षेत्र में रहने वाली पीड़िता ने आरोप लगाया कि 10 नवंबर 2021 की शाम जब वह अपनी 14 साल की नाबालिग बेटी के साथ ननद के घर से लौट रही थी। तभी गांव के रहने वाले पवन और आकाश ने उसकी नाबालिग बेटी को बाइक से घर छोड़ने के पेशकश की, भरोसा कर बेटी को बाइक पर बैठने दिया।
लेकिन गांव के सुनसान रास्ते में दोनों ने बाइक रोक दी और नाबालिग बेटी के स्तन पकड़े, नाले में खींच ले गए और उसके पजामे का नाड़ा तोड़ दिया। राहगीरों के अचानक आ जाने से दोनों आरोपी नाबालिग लड़की को छोड़कर फरार हो गए।
बता दें कि इस मामले में आरोपी और पीड़ित करीबी रिश्तेदार हैं। आरोपी आकाश पीड़िता का मौसेरा भाई है। दूसरा आरोपी पवन आकाश का चचेरा भाई है। इस घटना से पहले 17 अक्टूबर 2021 को आरोपी आकाश की मां रंजना ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें राजीव, शैलेंद्र, सुखवीर और विदेश पर छेड़खानी का आरोप लगाया था। आरोपी सुखबीर नाबालिग लड़की का चाचा है और शिकायत दर्ज करने वाली पीड़िता की मां का देवर है। पुलिस ने इस मामले में सुखबीर समेत सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है।
नाबालिग लड़की के साथ हुई घटना पर जारी सम्मन पर सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने साफ कहा कि जिन लोगों से पहले से रंजिश रही हो उनके साथ कोई मां अपनी नाबालिग लड़की को भेजेगी ऐसा मुश्किल लगता है। नाबालिग के साथ हुई घटना पर जारी हुए सम्मन पर आरोपियों की तरफ से सम्मन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर कर दलील दी कि शिकायत के आधार पर यह मामला रेप का नहीं आता। यह केवल 354 बी, आईपीसी यानि छेड़खानी और पोक्सो एक्ट के तहत ही आता है।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने स्पष्ट कहा कि पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पजामे का नाड़ा तोड़ना, उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप के प्रयास के अंतर्गत नहीं आता है। यह गंभीर यौन हमला है, बलात्कार के प्रयास का आरोप नहीं बनता। अदालत ने साफ कहा कि रेप के प्रयास और अपराध की तैयारी के बीच अंतर को सही तरीके से समझना चाहिए। हाई कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत को निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ संशोधित धाराओं के तहत नए सम्मन आदेश जारी करें।