ताज़ा खबरें
केंद्र के साथ बैठक बेनतीजा, शंभू और खनौरी बॉर्डर से हटाए गए किसान
राज्यों के विकास सूचकांक और बीपीएल में विरोधाभास है: सुप्रीम कोर्ट
आयत वाली कोई चादर नहीं जलाई गई: नागपुर हिंसा पर सीएम फडणवीस
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर नौ महीने बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौटे

लखनऊ: कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्‍याशियों को हराने के लिए भाजपा के पक्ष में वोटिंग से परहेज नहीं करने की बात कहने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने अब नया बयान दिया है। बसपा प्रमुख ने कहा है कि भाजपा के साथ कोई भी गठबंधन करने के बजाय वे राजनीति से संन्‍यास लेना पसंद करेंगी। बसपा सुप्रीमो ने सोमवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'किसी भी चुनाव में भाजपा के साथ बसपा का कोई भी गठबंधन भविष्‍य में संभव नहीं है। बसपा एक सांप्रदायिक पार्टी के साथ चुनाव नहीं लड़ सकती।'

उन्‍होंने कहा, 'हमारी विचारधारा 'सर्वजन सर्वधर्म हिताय की है और यह भाजपा की विचारधारा के विपरीत है। बीएसपी उनके साथ गठबंधन नहीं कर सकती जो सांप्रदायिक, जातिवादी और पूंजीवादी विचारधारा के हैं।' गौरतलब है कि मायावती ने पिछले सप्‍ताह कहा था कि विधान परिषद और राज्‍यसभा सहित भविष्‍य के चुनावों में समाजवादी पार्टी के प्रत्‍याशियों की हार सुनिश्चित करने के लिए उनकी पार्टी भाजपा या किसी अन्‍य पार्टी के प्रत्‍याशी को भी वोट करने के से भी परहेज नहीं करेगी।

यूपी में विधानसभा की सात सीटों पर मंगलवार को होने वाले मतदान से एक दिन पहले बसपा अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने भाजपा के साथ 'मिले होने' के आरोपों पर सफाई दी। दरअसल, बसपा अपनी परंपरा के विपरित उपचुनाव में शिरक्त कर रही है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह उपचुनाव शक्ति परीक्षण के तौर पर देखे जा रहे हैं।

मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा की विचारधारा के विपरीत है और भविष्‍य में विधानसभा या लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ कभी गठबंधन नहीं करेगी. उन्‍होंने कहा कि उप चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस हमारी पार्टी के खिलाफ साजिश में लगी है और गलत ढंग से प्रचार कर रही है ताकि मुस्लिम समाज के लोग बसपा से अलग हो जाएं। बसपा सांप्रदायिक पार्टी के साथ समझौता नहीं कर सकती है हमारी विचारधारा सर्वजन धर्म की है और भाजपा की विपरीत विचारधारा है।

उन्‍होंने कहा कि वह राजनीति से संन्यास ले सकती हैं, लेकिन ऐसी पार्टियों के साथ नहीं जाएंगी। बीएसपी प्रमुख ने दावा किया कि वह सांप्रदायिक, जातिवादी और पूंजीवादी विचारधारा रखने वालों के साथ सभी मोर्चों पर लड़़ेंगी और किसी के सामने नहीं झुकेंगी। उन्‍होंने कहा कि यह सभी जानते हैं कि बसपा एक विचारधारा और आंदोलन की पार्टी है और जब मैंने भाजपा के साथ सरकार बनाई तब भी मैंने कभी समझौता नहीं किया। मेरे शासन में कोई हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ, इतिहास इसका गवाह है।

मायावती ने कहा कि बसपा ने विपरीत परिस्थितियों में जब कभी भाजपा से मिलकर सरकार बनाई तो भी कभी अपने स्‍वार्थ में विचारधारा के खिलाफ गलत कार्य नहीं किया। उन्‍होंने कहा कि समाजवादी पार्टी जब भी सत्ता में आई तो भाजपा मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा की मौजूदा सरकार सपा के कारण बनी है। उन्‍होंने याद दिलाया कि उप चुनाव में बसपा ने सात सीटों में दो पर मुस्लिम उम्‍मीदवार उतार कर उनको प्रतिनिधित्‍व दिया है।

मायावती ने कहा कि यूपी में अपने अकेले दम पर या भाजपा के साथ मिलकर जब भी हमने सरकार बनाई तो मुस्लिम समाज का कोई नुकसान नहीं होने दिया, भले ही अपनी सरकार क़ुर्बान कर दी। उन्‍होंने विस्तार में जाए बिना कहा कि 1995 में जब भाजपा के समर्थन से मेरी सरकार बनी तो मथुरा में भाजपा और आरएसएस के लोग नई परंपरा शुरू करना चाहते थे। लेकिन मैंने उसे शुरू नहीं होने दिया और मेरी सरकार चली गई। उन्‍होंने कहा कि 2003 में मेरी सरकार में जब भाजपा ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन के लिए दबाव बनाया तब भी मैंने स्‍वीकार नहीं किया।

मायावती ने कहा कि भाजपा ने सीबीआई और ईडी का भी दुरुपयोग किया, लेकिन मैंने कुर्सी की चिंता नहीं की। उन्‍होंने कहा कि सीबीआई और ईडी जब 2003 में मुझे परेशान कर रही थी तो उस समय कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का फोन आया था और न्‍याय दिलाने का वादा किया। लेकिन लंबे समय तक कांग्रेस की सरकार रही लेकिन कोई मदद नहीं की और मुझे अंतत: सुप्रीम कोर्ट से न्‍याय मिला।

मायावती ने कहा कि बसपा के दलित उम्‍मीदवार को राज्‍यसभा में जाने से रोकने के लिए सपा ने पूंजीवादी प्रकाश बजाज को मैदान में उतारा, इसे बसपा कभी नहीं भूलेगी। सपा अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने गत दिनों मायावती पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा था कि राज्‍यसभा चुनाव में भाजपा और बसपा के गठबंधन को उजागर करने के लिए ही समाजवादी पार्टी ने निर्दलीय उम्‍मीदवार का समर्थन किया था। सपा ने निर्दलीय प्रकाश बजाज को समर्थन दिया था जिनका नामांकन बाद में निरस्‍त हो गया।

दरअसल, राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने बसपा को वॉकओवर दिया है। किसी भी पार्टी को अपना प्रत्याशी जिताने के लिए कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की ज़रूरत थी। जबकि बसपा विधायकों की संख्या मात्र 19 थी। भाजपा ने अतिरिक्त मतों के बावजूद चुनाव चुनाव में अपना नवां प्रत्याशी नहीं उतारा था।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख