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लखनऊ: सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन को बिहार विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में शामिल करने पर भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह संकीर्ण और अवसरवादी राजनीति की पराकाष्ठा है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, भाजपा अपने घोषणा पत्र में कह रही है कि बिहार के लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन का टीका मुफ्त लगवाएगी। भाजपा ने ऐसी घोषणा उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के लिए क्यों नहीं की? ऐसी अवसरवादी व संकीर्ण राजनीति को आने वाले चुनावों में प्रदेश व देश की जनता अवश्य जवाब देगी।

एक अन्य ट्वीट में अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि बिहार चुनाव में कश्मीर कथा बांचने वाले स्टार प्रचारक से कोरोना की मार झेलने वाला अपना प्रदेश तो संभल नहीं रहा है और दुनिया को सीख दे रहे हैं। आर्थिक बदहाली, बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई से 365 दिन त्रस्त रहने वाली बदलहाल जनता को 370 के फायदे गिना रहे हैं।

 

भाजपा सरकार की गलत नीतियों से संकट में किसान : अखिलेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में किसान भाजपा सरकार की गलत नीतियों से संकट में है। किसान की फसल की खुलेआम लूट हो रही है। जब कृषि अध्यादेशों को अधिनियम बनाया जा रहा था, तभी से आशंका थी कि इससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ेगा।

अखिलेश ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों के लिए की गई तमाम घोषणाएं फाइलों में धूल खा रही हैं। अब तक सभी किसानों की कर्जमाफी का वादा पूरा नहीं हुआ। फसल बीमा का लाभ बीमा कंपनियों के हिस्से में चला गया है, किसानों की आय दोगुनी होने की संभावना दूर-दूर तक नहीं है।

उन्होंने कहा, प्रदेश में धान खरीद की शुरुआत के साथ किसानों की तबाही के दिन भी शुरू हो गए हैं। एक तो किसान को ऑनलाइन पंजीकरण में ही मुश्किल होती है, दूसरे वहां भी वसूली होती है। ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर किसानों से 50 से 100 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। क्रय केंद्रों पर किसान अपनी फसल लिए तीन-चार दिन तक पड़ा रहता है। उसके लिए आवश्यक सुविधाएं तक नहीं है। 

क्रय केंद्र खोजने को घंटों भटके एडीएम

उन्होंने कहा कि सरकारी दावों के बावजूद प्रदेश में कितने धान खरीद केंद्र खुले हैं या खरीद कर रहे हैं इसकी जांच होनी चाहिए। जब लखनऊ के एक क्षेत्र में ही एडीएम और लेखपाल घंटों धान क्रय केंद्र की तलाश में घूमते रहे, तब कहीं वे एक केंद्र ढूंढ पाए, जहां खरीद नहीं हो रही थी। क्रय केंद्र प्रभारियों व बिचौलियों की साठगांठ हो जाती है और किसान अपनी फसल 1000 या 1100 रुपये/क्विंटल बेचने को मजबूर है। उन्होंने कहा, किसान का दर्द भाजपा सरकार को इसलिए महसूस नहीं होता, क्योंकि उसकी नीतियां किसान विरोधी और पूंजी घरानों की पोषक हैं। 

 

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