अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के हाथरस में पिछले महीने एक दलित युवती से कथित गैंगरेप, बर्बरता और हत्या के मामले में एफएसएल रिपोर्ट पर सवाल उठाने वाले अलीगढ़ के डॉक्टर अजीम मलिक को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की नौकरी से निकाल दिया गया है। डॉ. मलिक उस अस्पताल में इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सेंटर में मेडिकल ऑफ़िसर के पद पर तैनात थे। हाथरस पीड़िता की एमएलसी रिपोर्ट भी इन्हीं की टीम ने बनाई थी। डॉ. मलिक के अलावा उनकी टीम के सहयोगी डॉ ओबेद हक़ को भी पद से बर्खास्त कर दिया गया है। डॉ हक़ ने पीड़िता के मेडिकल लीगल केस रिपोर्ट पर दस्तख़त किए थे।
यूपी पुलिस ने पीड़िता की एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि पीड़िता के साथ रेप नही हुआ है। इस पर डॉ. मलिक ने कहा था कि एफएसएल का सैंपल रेप के 11 दिन बाद लिया गया था, जबकि सरकारी गाइडलाइन्स के मुताबिक़ रेप के 96 घंटे के भीतर लिए सैंपल में ही रेप की पुष्टि हो सकती है। मंगलवार को जेएनएमसीएच के सीएमओ डॉ. शाह ज़ैदी ने उन्हें पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी।
इधर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि डॉ. मलिक और डॉ. ओबेद के निष्कासन का हाथरस केस से लेना देना नहीं है। कोविड की वजह से कुछ डॉक्टर बीमार पड़ गए थे, जिसकी वजह से इन दोनों डॉक्टरों को "लीव वैकेंसी" पर लाया गया था और अब इनकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं है। उधर, डॉ अज़ीम मलिक का कहना है कि हाथरस केस में मीडिया से बात करने की उन्हें सज़ा दी गई है।
बता दें कि पिछले महीने 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में 20 साल की एक दलित युवती के साथ खेत में गांव के ही उच्च जाति के चार युवकों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया था। उसके बाद उसके साथ मारपीट और बर्बरता की थी। पीड़िता के शरीर पर कई जगह गंभीर चोट थे, उसकी रीढ़ की हड्डी पर भी गंभीर चोट थी। बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उसकी मौत पर बवाल मचने के बाद जिला प्रशासन ने आनन-फानन में रात के अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।