ताज़ा खबरें
बिहार में अररिया के बाद अब मुंगेर में भी पुलिस अधिकारी की हत्या
सोनीपत में बीजेपी नेता सुरेंद्र जवाहरा की हत्या, पड़ोसी ने मारी गोली
पंजाब के मोगा में शिवसेना नेता की गोली मारकर हत्या,बाजार कराया बंद
यूपी: संभल में धूमधाम से मनाई गई होली, फिर पढ़ी गई जुमे की नमाज
महाराष्ट्र में बीजेपी का शासन औरंगजेब से भी बदतर है : संजय राउत

लखनऊ: पशुपालन विभाग के कैबिनेट मंत्री के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी धीरज कुमार देव और कुछ पत्रकार मिलकर सचिवालय के एक कमरे से फर्जीवाड़ा करते रहे। इन लोगों ने इंदौर के एक ठेकेदार को पशुधन विभाग में आटे की सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर नौ करोड़ 72 लाख रुपये हड़प लिये। जांच में यह सब सही पाये जाने पर शनिवार देर रात हजरतगंज कोतवाली में 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई। फिर कुछ घंटे बाद ही इनमें शामिल मास्टरमाइन्ड आशीष राय, रजनीश दीक्षित, एके राजीव उर्फ अखिलेश कुमार और धीरज कुमार देव को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी में हजरतगंज पुलिस भी साथ रही।

एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश के मुताबिक इन सबने इंदौर के पुरनिया कालोनी निवासी मंजीत सिंह भाटिया को पशुधन विभाग में आटे का ठेका दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसाया था। ये लोग सचिवालय स्थित एक कमरे में मंजीत को बुलाते थे। यहां पर रजनीश दीक्षित व धीरज कुमार की मदद से एक कमरे में एसके मित्तल उपनिदेशक निदेशक, पशुपालन विभाग का बोर्ड लगाकर मंजीत को मिलवाया जाता था।

इस कमरे में आशीष राय खुद को निदेशक बताकर मंजीत सिंह मिलता था।

सचिवालय में सारी डीलिंग होने की वजह से मंजीत को शक ही नहीं हुआ कि वह जालसाजों के चंगुल में है। इन लोगों ने मंजीत को फर्जी वर्क आर्डर भी दे दिया था। जब इसकी असलियत सामने आयी तो उसने इन लोगों से विरोध जताया। फिर इन लोगों से रुपये लौटाने को कहा। रुपये न देने पर ही मंजीत सिंह ने शासन में शिकायत की थी। इसके बाद ही एसटीएफ ने इस पूरे मामले की जांच शुरू की थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख