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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज (बुधवार) कहा कि विधायक निधि का उपयोग पारदर्शिता के साथ करना चाहिए और विधायकों को ‘कमीशन’ से दूर रहना चाहिए। नाईक ने यहां उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा में प्रथम बार निर्वाचित विधायकों के लिये आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन में कहा, ‘‘विधायक निधि का उपयोग पारदर्शिता के साथ करें। अपनी कल्पना से जनहित में परियोजनाओं का चयन करें। समिति बनाकर परियोजना के अनुसार विधायक निधि का नियोजन करें और यह सुनिश्चित करें कि सही ढंग से धन का उपयोग हो।’’ उन्होंने विधायकों से कहा, ‘‘भ्रष्टाचार से बचें क्योंकि भ्रष्टाचार से संदेह निर्माण होता है। कमीशन जैसे लाभ से स्वयं को दूर रखें।’’ नाईक ने कहा कि मतदाताओं के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता के आधार पर प्रतिवर्ष कार्य प्रगति प्रकाशित करना लाभदायक होता है। 23 दिसम्बर, 1993 को उनके प्रस्ताव पर सांसद निधि की शुरूआत हुई। इसी तरह संसद में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत गाया जाना उनके प्रयास से संभव हुआ और बम्बई को उसका असली नाम ‘मुंबई’ दिलाया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश है। देश की सर्वाधिक आबादी वाले प्रदेश की 22 करोड़ जनता 403 विधायक चुनकर विधानसभा भेजती है। 17वीं विधानसभा में 238 सदस्य यानी 59 प्रतिशत नये सदस्य प्रथम बार निर्वाचित हुये हैं।

विधान सभा के तीन महत्वपूर्ण घटक होते हैं, विधान सभा अध्यक्ष, सत्तारूढ़ दल के मंत्री एवं सदस्य तथा अन्य विरोधी दल के सदस्य।’’

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