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देहरादून (जनादेश ब्यूरो): उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में दर्जनों मजदूर करीब 150 घंटे से फंसे हुए हैं और उन्हें बचाने के लिए युद्धस्तर पर कवायद की जा रही है। शुक्रवार शाम अचानक "दरार आने की आवाज" सुनने के बाद बचाव अभियान रुक गया और ड्रिलिंग मशीन में भी खराबी आ गई। रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में जुटे अधिकारियों ने बताया है कि दुर्घटनास्थल पर दूसरा भारी ड्रिल विमान से भेजा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि आज फिर से रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन शुरू हो जाएगा।

रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन रुकने पर परिजन चिंतित

शुक्रवार को रेक्स्यू ऑपरेशन को बड़ा झटका तब लगा, जब अमेरिकी ऑगर मशीन बीच में ही खराब हो गई। मशीन की बेयरिंग खराब होने की वजह से वह आगे ही नहीं बढ़ सकी। करीब 25 मीटर की ड्रलिंग के बाद मशीन नीचे किसी मेटेलिक चीज़ से टकरा गई। इससे तेज आवाज आई। दोपहर 2:45 के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया।

उत्तरकाशी: यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले चार दिनों से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बड़े व्यास के स्टील पाइपों से 'एस्केप टनल' तैयार करने हेतु अधिक क्षमता की अमेरिकी ऑगर मशीन से फिर ड्रिलिंग शुरू कर मलबे को भेदने के प्रयास बृहस्पतिवार को तेज कर दिए गए।

अधिकारियों ने यहां कहा कि सुरंग के अंदर ड्रिलिंग उपकरणों को लगभग स्थापित किया जा चुका है और जल्द ही ड्रिलिंग फिर शुरू कर दी जाएगी।

एनएचआईडीसीएल की ओर से सुरंग का निर्माण कर रही नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी जीएल नाथ ने सुबह करीब आठ बजे कहा, ‘‘मशीन को स्थापित किए जाने का लगभग 95 प्रतिशत काम हो चुका है और अब से एक—डेढ़ घंटे में ड्रिलिंग का काम शुरू हो जाएगा।’’ नई ड्रिलिंग मशीन स्थापित करने की प्रक्रिया बुधवार रात 11 बजे शुरू की गयी थी। नाथ ने उम्मीद जाहिर की कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को जल्द ही सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा।

नई दिल्ली/उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में पांच दिन से 40 मजदूर फंसे हुए हैं। ये टनल 12 नवंबर की सुबह अचानक धंस गई थी। अंदर फंसे मजदूरों को निकालने के लिए गुरुवार सुबह नए सिरे से 'अमेरिकन ऑगर' मशीन को इंस्टॉल कर रेस्क्यू का काम शुरू किया गया है। इस मशीन को बुधवार देर शाम भारतीय वायुसेना के हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से उत्तरकाशी लाया गया था। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की रेस्क्यू टीमों से भी सलाह ली जा रही है। इस बीच केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गुरुवार को टनल के अंदर जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने बताया कि मजदूरों के रेस्क्यू में 2 से 3 दिन और लग सकते हैं।

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। 12 नवंबर (रविवार) को अचानक टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंस गई। जिससे ये मजदूर बफर जोन में फंस गए। मलबा 70 मीटर तक फैला गया है। फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।

देहरादून: उत्तरकाशी के टनल में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इस टनल से फंसे मजदूरों को निकालने के लिए बीते 70 घंटे से ज्यादा समय से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हालांकि, घटनास्थल के पास हुए एक लैंडस्लाइड की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन की गति पर असर जरूर पड़ा है।

साथी मजदूरों ने किया हंगामा

करीब 40 मजदूरों के टनल के अंदर फंसे होने और रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी का असर अब साथी मजदूरों पर दिखने लगा है। साथी मजदूरों ने टनल के अंदर चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की धीमी रफ्तार पर सवाल उठाते हुए हंगामा किया है। कुछ मजदूरों ने बैरीकेड्स को तोड़कर अंदर जाने की भी कोशिश की। अन्य सभी मजदूरों ने भी सिल्क्यारा में हंगामा किया है। उनकी मांग है कि बचाव अभियान में और तेजी लाई जाए ताकि उनके साथियों को टनल के अंदर से जल्दी निकाला जा सके।

रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों ने टनल के अंदर मलबे के बीच से स्टील पाइल के माध्यम से फंसे मजदूरों तक खाना और ऑक्सीजन पहुंचाने की कोशिश की थी।

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