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देहरादून: उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में अभी कुछ और समय लग सकता है। श्रमिकों को बाहर निकालने के रास्ते में एक के बाद एक मुश्किलें सामने आ रही हैं। ऑगर मशीन के फिर से अटकने के बाद अब मैनुअल ड्रिलिंग की योजना बनाई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने क्रिसमस तक श्रमिकों के निकलने की उम्मीद जताई।
श्रमिक अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे: विशेषज्ञ
सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में ‘ड्रिल' करने में इस्तेमाल ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंसने से काम बाधित होने के बाद दूसरे विकल्पों पर विचार किए जाने के बीच शनिवार को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने उम्मीद जताई कि पिछले 14 दिन से फंसे 41 श्रमिक अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे। शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ‘ड्रिलिंग' का काम बाधित रहा। हालांकि समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने मीडिया को बताया कि ऑगर मशीन ‘खराब' हो गई है।
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उत्तरकाशी: अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए जिस ऑगर मशीन से ‘ड्रिल’ की जा रही थी, वह खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि बचाव दल लंबवत और हाथ से ‘ड्रिलिंग’ सहित अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
डिक्स ने सिलक्यारा में पत्रकारों से कहा, ‘‘ ऑगर टूट गई है, क्षतिग्रस्त हो गई है।’’ पिछले कुछ दिन से ऑगर मशीन से ‘ड्रिल’ करने के दौरान लगातार बाधाएं आ रही थीं। जब उनसे हाथ से अथवा लम्बवत ‘ड्रिल’ करने जैसे अन्य विकल्पों के बारे में पूछा गया तो डिक्स ने कहा कि सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम जो भी विकल्प अपना रहे हैं उसके अपने फायदे और नुकसान हैं। हमें बचावकर्ताओं की तथा श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है।’’ उन्होंने कहा कि फंसे हुए लोगों और बचावकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अभियान में लगी कई एजेंसियों का लक्ष्य है।
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उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब मैनुअली ही मलबा हटाने का काम किया जायेगा। ऑगर मशीन के सामने लोहे जैसी कोई चीज दुबारा आने के बाद मशीन से ड्रिलिंग का काम रोकने का फैसला लिया गया है। इसमें अभी और वक्त लग सकता है और आज रात शुक्रवार (24 नवंबर) को रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं हो पायेगा। ऑगर मशीन को भी हटाने का काम किया जा रहा है।
उत्तरकाशी टनल हादसे की बात करें तो पिछले 13 दिनों से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। करीब 48 मीटर हिस्से में पाइप अंदर जा चुके हैं और आगे के 12 मीटर का हिस्सा काफी अहम है। ड्रिलंग के दौरान कई बार परेशानी आई है और ऑगर मशीन आगे नहीं बढ़ पा रही है। इसका कारण मशीन के रास्ते में कुछ न कुछ लोहे का सामान आ जाता है और इससे मशीन भी खराब हो रही है। बता दें कि 12 नवंबर को दीपावली की सुबह से चारधाम रोड परियोजना के काम में लगे 41 श्रमिक मलबा आने के कारण सुरंग में फंसे हैं।
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देहरादून (जनादेश ब्यूरो): उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का शुक्रवार (24 नवंबर) को 13वां दिन है। मुश्किलें आ रही हैं, धैर्य की परीक्षा ली जा रही है, लेकिन देश अपने 41 मजदूरों से यही कह रहा है कि हिम्मत नहीं हारनी है। हर अड़चन को हराकर जीत हासिल करनी है। मजदूर सुरंग के भीतर हैं, लेकिन बाहर पूरा हिंदुस्तान उनका इंतजार कर रहा है। ड्रिलिंग के रास्ते में लोहे की रॉड आने की वजह से मशीन खराब हो गई थी। दिल्ली से एक्सपर्ट बुलाकर उन्हें ठीक कराया गया है और अब पाइप डालने का काम फिर जारी है।
कल (गुरुवार 23 नवंबर) ऐसा माना जा रहा था कि मजदूरों को शाम तक निकाल लिया जाएगा। लेकिन मशीन में खराबी आने की वजह से ऑपरेशन बीच में रुक गया। अधिकारियों का भी कहना है कि सब ठीक रहा तो दिन ढलने तक ऑपरेशन कंपलीट होगा। हिमालय की चोटी पर बसा उत्तरकाशी, गंगा और यमुना दोनों नदियों का जहां उद्गम स्थल है। उत्तरकाशी जो देवभूमि है और यहां हजारों तीर्थयात्री पवित्र धाम के दर्शन के लिए जाते हैं।
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