देहरादून: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चमोली जिलों में आपदा ने भारी तबाही मचाई। आपदा में 29 की मौत की खबर है और कई लोग लापता हैं। बाढ़ से निपटने के लिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सेना की दो टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं। बादल फटने से पिथौरागढ़ के डीडीहाट के बस्तड़ी और थल के नौलड़ा गांवों में भारी नुकसान हुआ है। लापता लोगों के बहने और मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। पिथौरागढ़ में सेना और आईटीबीपी ने रेस्क्यू चलाकर बस्तड़ी में छह लोगों को मलबे से बाहर निकाला। पिथौरागढ़ जिले में 11 लोगों की मौत हो गई और 15 लापता हैं। लापता सभी लोग बस्तड़ी गांव के रहने वाले हैं। चमोली के घाट और दशोली इलाके में बादल फटने और भारी बारिश के चलते चार लोग भूस्खलन के मलबे में दब गए, जबकि एक महिला सहित चार लोगों के नंदाकिनी नदी में बहने की जानकारी दी गई है। सिणजी सिरौंगांव के दो और बादुक गांव से एक व्यक्ति का शव मलबे से निकाला जा चुका है। जिले में कई घर क्षतिग्रस्त हो गए। प्रशासन ने घाट के आपदा प्रभावित करीब डेढ़ सौ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है। अधिकतर लोगों ने अस्पताल और स्कूल भवन में शरण ली है। कोठियालसैंण गांव में 15 लोगों को सरकारी भवन में ठहराया गया है। पिथौरागढ़ के नौलड़ा गांव में गुरुवार रात करीब साढ़े 12 बजे बादल फटने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई। आपदा में बची राम पुत्र नारायण राम, उनकी पत्नी पार्वती देवी, पुत्र मनोज कुमार की मलबे में दबने से मौत हो गई।
बची राम के बेटे कमलेश (16), ललित (14) और नीरू (11) ने किसी तरह जान बचाई। प्रशासन का कहना है कि टीमें मलबे से शव बाहर निकालने में जुटी हैं। वहीं कनालीछीना स्थित चर्मा मंदिर में बादल फटने से आए मलबेमें दबकर एक संन्यासी की मौत हो गई। लोगों ने किसी तरह उनका शव बाहर निकाला। शुक्रवार सुबह करीब सवा चार बजे बस्तड़ी में बादल फटने से तीन मकान जमींदोज हो गए। आपदा के तीन घंटे से भी अधिक समय बाद आईटीबीपी मिर्थी और सेना के जवानों ने छह लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाल लिया। ये लोग मकान के मलबे के साथ बह गए थे। गंभीर रूप से घायल इन छह लोगों को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र डीडीहाट पहुंचाया गया। धारचूला मोटर मार्ग के बंद होने से बचाव राहत में खासी दिक्कतें आ रही हैं। आईटीबीपी व सेना के जवान बचाव राहत में जुटे हुए हैं। घायलों को तत्परता से बाहर निकाला। जवानों ने मलबे में दबे शवों कोनिकालने में पूरी ताकत लगा दी। देर शाम तक रेस्क्यू जारी रहा। कनालीछीना। नाले में तब्दील हो गए बस्तड़ी गांव में प्रशासन के आपदा राहत प्रबंधन की पोल खुल गई। हादसे के पांच घंटे बाद भी प्रशासन की टीम मौके पर नहीं पहुंच पाई। वहीं बारिश के कारण राहत कार्यों को काफी दिक्कतें पेश आईं। कनालीछीना। ओगला से बस्तड़ी की महज चार किमी की दूरी पर सड़क दस जगह बंद है। आपदा राहत के लिए धारचूला और डीडीहाट की तरफ से आई टीमों को भारी परेशानी हुई। यह सड़क एक माह से बंद है। बस्तड़ी में घायलों को अस्पताल तक लाने में दिक्कतें हुईं। तेज बारिश के बीच गुरुवार रात नंदाकिनी नदी ने खतरे के निशान के ऊपर बहते हुए घाट इलाके की ओर रुख कर लिया। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे घाट क्षेत्र में 80 साल के रामचंद्र और उनका पोता योगेश्वर प्रसाद बारिश तेज होने पर घर से बाहर किसी सुरक्षित जगह की ओर जाने लगे। याद आने पर कोई कागज लेने के लिए घर में घुसे ही थे कि भूस्खलन की चपेट में आकर मलबे में दब गए। दोनों घूमी गांव के रहने वाले हैं, इन दिनों घाट आए हुए थे। बादुक गांव में जीत सिंह पुत्र खिलाप सिंह भूस्खलन की चपेट में आए पुराने मकान के मलबे में दब गए। जीत सिंह घर में अकेले थे। जीत सिंह का शव मलबे से निकाला जा चुका है। वहीं जाखनी सिरौ पुल के पास रहने वाले बीरबल, अव्वल सिंह, राजेश्वरी और नेपाल निवासी एक व्यक्ति नंदाकिनी नदी में बह गए। देर शाम तक इनका कोई पता नहीं चला। वहीं दशोली ब्लाक के सिणजी सिरौंगांव के मनोहर सिंह और जयप्रकाश सुबह गौशाला में पशु बांधकर बाहर निकले ही थे कि बारिश तेज होने लगी। दोनों नजदीक ही सीमेंट से बने एक शेड के नीचे बैठ गए। पहाड़ी से हुए भूस्खलन से ढहे शेड के नीचे दबकर दोनों की मौत हो गई। दोनों के शव निकाल लिए गए। वादुक गांव में जीत सिंह पुत्र खिलाप सिंह भूस्खलन की चपेट में आए पुराने मकान के मलबे में दब गए। जीत सिंह घर में अकेले थे। वहीं जाखनी सिरौ पुल के पास रहने वाले बीरबल, अव्वल सिंह, राजेश्वरी और नेपाल निवासी एक व्यक्ति नंदाकिनी नदी में बह गए। देर शाम तक इनका कोई पता नहीं चला। वहीं दशोली ब्लाक के सिणजी सिरौंगांव के मनोहर सिंह और जयप्रकाश सुबह गौशाला में पशु बांधकर बाहर निकले ही थे कि बारिश तेज होने लगी। दोनों नजदीक ही सीमेंट से बने एक शेड के नीचे बैठ गए। पहाड़ी से हुए भूस्खलन से ढहे शेड के नीचे दबकर दोनों की मौत हो गई। दोनों के शव निकाल लिए गए। घाट ब्लाक में नंदाकिनी नदी से घिरे टापू पर फंसे आठ लोगों को राजस्व और रेगुलर पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर सुरक्षित निकाल लिया। एसपी प्रीति प्रियदर्शनी ने बताया कि पुलिस, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें आपदा वाले क्षेत्रों में राहत कार्यों में जुटी हैं। बागेश्वर। आकाशीय बिजली गिरने से गरुड़ तहसील के अमस्यारी गांव में ख्याली दत्त जोशी (62) की मौत हो गई। जोशी सुबह किसी से मोबाइल पर बात कर रहे थे। इसी दौरान बिजली कड़की और जोशी मोबाइल के साथ ही जमीन पर गिर गए। सीएचसी में बैजनाथ में डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। भारी बारिश में मलबा आने पर बदरीनाथ हाईवे कई स्थानों पर बंद हो गया। इससे लगभग तीन हजार यात्री रास्तों में फंसे हैं। बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब के यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रुकने की सलाह दी गई। वहीं केदारनाथ में हेलीकॉप्टर सेवाएं मौसम खराब होने पर बंद रहीं,लेकिन पैदल यात्रा जारी रही। गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा भी जारी रहीं। राज्य में अलकनंदा, नंदाकिनी, पिंडर, सरयू सहित दस से ज्यादा नदियां खतरे के निशान पर बह रही हैं। ऋषिकेश में गंगा चेतावनी के निशान पर है। इन नदियों के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है । देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा में मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये राहत राशि देने की घोषणा की है। गढ़वाल और कुमाऊं के कमिश्नरों को प्रभावित क्षेत्रों में कैंप करके राहत कायोंर् की समीक्षा करने को कहा है। मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी पर शनिवार को देहरादून और हरिद्वार जिले के स्कूल, कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। अब स्कूल-कॉलेज सोमवार को खुलेंगे।